मद्रास हाईकोर्ट की मदूरै पीठ ने चीनी मोबाइल ऐप टिकटॉक पर से 21 दिन बाद लगी रोक को हटा लिया है।
हाईकोर्ट ने तीन अप्रैल को इस ऐप पर बैन लगाया था, जिसके बाद दूरसंचार मंत्रालय ने गूगल और एप्पल को अपने स्टोर से इस ऐप को हटाने का निर्देश दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट से कहा था कि वो इस पर अपना अंतरिम आदेश दे। चीनी कंपनी बाइटडांस ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
कंपनी ने कहा था कि बैन लगने से उसे रोजाना पांच लाख डॉलर का नुकसान हो रहा है। वहीं कंपनी में कार्यरत 250 लोगों की नौकरी भी खतरे में पड़ गई है। इस ऐप को बाइटडांस टेक्नोलॉजी ने बनाया था, जिसका मुख्यालय बीजिंग में है।
टिकटॉक ऐप यूजर्स को स्पेशल इफेक्ट के साथ छोटे वीडियो बनाने और शेयर करने की सुविधा देता है। यह विश्व में बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला ऐप है।
हालांकि भारत में कोर्ट के आदेश के बाद गूगल और एप्पल ने इसे अपने स्टोर से हटा दिया है।
30 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड
भारत में टिकटॉक के करीब तीस करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। वहीं पूरी दुनिया में यह डाउनलोड होने में सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। कोर्ट ने माना था कि इस ऐप से पोर्नोग्राफी को काफी बढ़ावा मिल रहा है।
विश्व का सबसे कीमती स्टार्टअप है बाइटडांस
बाइटडांस को विश्व के सबसे कीमती और बड़े स्टार्टअप्स में की जाती है। बाइटडांस देश में अगले तीन सालों में एक अरब डॉलर (7000 करोड़ रुपये) का निवेश करने की योजना बना रही है।
हालांकि कंपनी के देश में दो ऐप्स फिलहाल चल रहे हैं, जिनको यूजर्स द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। सॉफ्ट बैंक, जनरल एटलांटिक, केकेआर जैसे निवेशकों ने निवेश किया है।
याद रहे जिन लोगों के फोन में पहले से ही टिकटॉक ऐप डाउनलोड है, केवल वही इसका इस्तेमाल कर सकते थे। पहले इसका नाम म्यूजिकली रखा गया था लेकिन बाद इस नाम को बदलकर टिकटॉक कर दिया गया।
बाइटडांस के निवेश को लगने वाला था झटका
ऐप पर प्रतिबंध लगने के बाद से बाइटडांस के द्वारा निवेश किए जाने को झटका लग गया था। इससे निवेशक भी इस कंपनी में निवेश करने से बचे रहे थे। इसके साथ ही विज्ञापन से होने वाली आय भी प्रभावित होने की संभावना थी।
सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल किए गए अपने जवाब में बाइटडांस ने विनती की थी कि उसके ऐप पर से प्रतिबंध को हटा लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केस को वापस मद्रास हाईकोर्ट भेज दिया था।
सोशल मीडिया कंपनियों में डर
इस प्रतिबंध के बाद से सोशल मीडिया कंपनियों में डर बैठ गया है, क्योंकि अगर अदालत इन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को मॉनिटर करती रहीं तो फिर काफी नुकसान होने की संभावना है।