फतेहपुर :खागा तहसील क्षेत्र के मझिलगांव में स्थित कुंडेश्वर महादेव मंदिर में लंकाधिपति रावण द्वारा स्थापित शिवलिंग के दर्शन के लिये दूर-दूर से श्रृद्धालु पहुंचते हैं जबकि महाशिवरात्रि और सावन के प्रत्येक सोमवार में मंदिर प्रांगण शिव भक्तों की भीड़ से गुलजार रहता है। कुंडेश्वर महादेव की एक मुखी शिवलिंग के मस्तक भाग पर जटाजूट तथा पूर्ण खुली गोल आंखें हैं।
शिवलिंग की खास विशेषता है कि यह दिन में तीन प्रकार से रंग बदलता है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर खागा से मात्र आठ किलोमीटर दूर इलाहाबाद मार्ग पर स्थित यह कुंडेश्वर महादेव शिव मंदिर भक्तों के लिए कल्पवृक्ष का काम कर रहा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान आशुतोष से शिवलिंग लेकर लंकापति रावण वापस लौट रहे थे।
इसी दौरान उन्होने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया था। बस फिर क्या था यह शिवलिंग इतिहास का अनगढ़ पत्थर बन गया। रावण द्वारा स्थापित शिव लिंग में विषमुख के मध्य भाग में ओम अंकित है। ब्रह्म लिपि में लिखा मंदिर में लगा पत्थर नागवंश काल में शिव लिंग स्थापित किए जाने का संकेत देता है। मान्यता यह भी है कि एक नाग शिवलिंग के दर्शन करने प्रतिदिन आता है। उस समय नागदेव को जिस साधु ने भी देखने का प्रयास किया वह जीवित नहीं रह सका।
आस्था का उमड़ता सैलाब – यूं तो मंदिर में पूरे साल भक्तों का जमावड़ा रहता है, लेकिन शिवरात्रि व सावन के महीने में दूर-दूर से भक्त भगवान शिव की आराधना के लिए आते हैं।
रुद्रवंती भगवान शिव का वरदान – प्राचीन मंदिर के नजदीक स्थित झील में दुर्लभ औषधि रुद्रवंती पाई जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी के दिनों में रुद्रवंती की तलाश में दूर-दूर से वैद्य, जरुरतमंद आते हैं। बताते हैं कि सूरज निकलने से पहले ही दुर्लभ औषधि की प्राप्ति होती है। धूप निकलते ही रुद्रवंती भूमि के अंदर दराजों में छिप जाती है।
भगवान भोलेनाथ पूरी करते मनोकामनाएं – मंदिर के पुजारी गोपालदास जी महराज का कहना था भगवान भोलेनाथ की महिमा को जानने वाले श्रृद्धालु हर रोज यहां आते हैं। भगवान शिव से सच्चे मन से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती हैं।