मुंबई: महाराष्ट्र में लंबे सियासी उठापटक के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को देश के इस सबसे धनी राज्य की कमान संभाल ली। राज्य में सरकार चलाने के लिए शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी ने एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया है। इस सीएमपी में महाविकास अघाड़ी ने किसानों से लेकर आम जनता तक की स्थिति सुधारने के लिए ढेरों वादे किए हैं। विश्लेषकों के मुताबिक 4.7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ के तली दबी महाराष्ट्र सरकार के लिए सीएमपी के वादे को पूरा करना बड़ी चुनौती होगा। माना जा रहा है कि इसी वजह से उद्धव ठाकरे को सीएम बनने से पहले ही अपने ‘बड़े भाई’ (पीएम नरेंद्र मोदी) की याद आ रही है और जल्द ही उनसे मुलाकात कर आर्थिक पैकेज की मांग कर सकते हैं।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में शुक्रवार को जहां कर्ज संकट के लिए देवेंद्र फडणवीस को जमकर कोसा गया है, वहीं प्रधानमंत्री को ‘बड़ा भाई’ बताकर उन्हें ‘साधने’ की कोशिश की गई है। सीएमपी में वादों की भरमार पर अर्थशास्त्री अजित रानाडे कहते हैं कि यह जन ‘कल्याणकारी’ है लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया है कि वादों के पिटारे को अमलीजामा पहनाने के लिए पैसा कहां से आएगा। उन्होंने कहा कि राज्य पर इस समय 4.7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। यही नहीं राज्य में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में असमानता सबसे ज्यादा है। रानाडे ने आशा जताई कि सीएमपी में निचले तबके के लोगों की मदद करके समानता लाने में मदद मिलेगी। आइए जाने हैं कि महाविकास अघाड़ी के सीएमपी की जमीनी हकीकत….
किसान
महा विकास अघाड़ी ने सत्ता में आने से पहले ही कह दिया था कि उनका फोकस अपदा से जूझ रहे किसानों पर सबसे ज्यादा रहेगा। सीएमपी में भी कहा गया है कि बाढ़ और बेमौसम की मार से प्रभावित किसानों की कर्जमाफी की जाएगी। जानकारों के मुताबिक किसान कर्जमाफी के लिए ही महाराष्ट्र सरकार को करीब 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करना होगा। कर्ज के संकट से जूझ रही महाराष्ट्र सरकार को बिना केंद्रीय मदद के इतना पैसा जुटाना काफी मुश्किल होगा।
बिजली
शिवसेना ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि 300 यूनिट से कम बिजली इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर में 30 प्रतिशत की कमी की जाएगी। शिवसेना के इस वादे को सीएमपी में जगह नहीं मिल पाई। महाराष्ट्र स्टेट एनर्जी कंज्यूमर संघ के अध्यक्ष प्रताप होगडे ने इस पर नाखुशी जताई है। उन्होंने कहा, ‘नलकूप के लिए किसानों का काफी बिल देना पड़ रहा है। देवेंद्र फडणवीस सरकार ने वादा किया था कि वह इसे सही करेगी लेकिन कुछ नहीं हुआ। नई सरकार को इसे तत्काल देखना चाहिए।’ उन्होंने दावा किया कि राज्य में पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा 25 प्रतिशत ज्यादा बिजली बिल लिया जाता है। इसी वजह से कई उद्योग राज्य से बाहर चले गए।
हेल्थ
सीएमपी में 1 रुपये में महाराष्ट्र में सभी तालुका के अंदर पैथलॉजी टेस्ट करवाने की सुविधा देने का वादा किया गया है। इस वादे पर महाराष्ट्र के इंडियन मेडिकल असोसिएशन के पूर्व सचिव डॉक्टर सुहास पिंगले ने कहा, ‘बिना बजटीय सहायता के इस तरह का वादा केवल दिवास्वप्न है और कुछ नहीं।’ उधर, उद्धव सरकार के इस वादे पर अन्य लोगों का कहना है कि ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत पहले ही गरीब लोगों को सस्ता इलाज मिल रहा है और सीएमपी को हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहिए।
पर्यावरण
हाल ही में आरे जंगलों के काटने पर विरोध प्रदर्शन करने वाली शिवसेना अपने सीएमपी में पर्यावण के मुद्दे पर चुप है। पर्यावरण कार्यकर्ता सत्यजीत चव्हाण ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि जिन मुद्दों को हमने उठाया है, उनके साथ सरकार की नीतियां न्याय करेंगी।’ सेव आरे मुवमेंट से जुड़े स्टालिन दयानंद ने कहा, ‘तीन बड़ी पार्टियों ने पर्यावरण के बारे में एक शब्द नहीं कहा। हम जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं और लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि पर्यावरण के मुद्दे को जानबूझकर इसमें शामिल नहीं किया गया होगा।’
बता दें कि शुक्रवार को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे लेख में देवेंद्र फडणवीस पर महाराष्ट्र पर कर्ज लादने का आरोप लगाया गया है। सामना ने कहा, ‘पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज लादकर फडणवीस सरकार चली गई। इसलिए नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उस पर तेजी से लेकिन सावधानीपूर्वक कदम रखना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने नई सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दी हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र का विकास तीव्र गति से होगा। इसके लिए केंद्र की नीति सहयोगवाली होनी चाहिए। महाराष्ट्र के किसानों को दुख की खाई से बाहर निकालने के लिए केंद्र को ही सहयोग का हाथ आगे बढ़ाना होगा।’