मुंबई : महाराष्ट्र में सियासी रस्साकस्सी के बीच भाजपा ने बाजी मारते हुए एनसीपी के अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली है। राजभवन में देवेंद्र फडणवीस ने जहां मुख्यमंत्री वहीं अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर सरकार बनाने की कोशिश करने वाली शिवसेना-एनसीपी संयुक्त प्रेस कांफ्रेस की। जिसमें पवार ने दावा किया कि संख्या उनके पास हैं और वह राज्य में सरकार बनाएंगे।
शिवसेना और एनसीपी के बाद कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस की। जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, ‘सुबह जो कांड हुआ उसने लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाईं। महाराष्ट्र के इतिहास में आज का दिन एक काला धब्बा है। सब कुछ जल्दबाजी में सुबह-सवेरे किया गया। कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। जो हुआ वो एनसीपी की वजह से हुआ। बिना बैंड-बाजा-बारात के शपथ ग्रहण किया गया। भाजपा के हराने के लिए तीन दल साथ हैं। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई। शरद पवार अजित के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। ‘
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने प्रेस क्रांफ्रेंस में कहा, ‘लोकतंत्र के नाम पर खेल चल रहा है। हमने जनादेश का आदर किया है। वे लोगों को तोड़ते हैं और हम जोड़ते हैं। पवार साहब हमारे साथ हैं। शिवसेना जो करती है खुलेआम करती है। पहले ईवीएम खेल चल रहा था और अब यह नया खेल है। यहां से मुझे नहीं लगता कि चुनावों की भी जरूरत है। सभी को पता है कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ धोखा हुआ और पीछे से वार किया गया तो उन्होंने क्या किया था। उन्हें शिवसेना के विधायकों को आजमाने और तोड़ने की कोशिश करने दें। महाराष्ट्र सोया नहीं रहेगा। ‘
प्रेस कांफ्रेस में शरद पवार ने कहा, ‘सरकार बनाने के लिए कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी नेता एक साथ आए। हमारे पास जरूरी संख्या थी। हमारे पास आधिकारिक नंबर थे। 44, 56 और 54 विधायकों ने सरकार बनाने के लिए समर्थन किया था। कई निर्दलीय विधायक भी हमारे साथ थे और हमारी संख्या 170 के आसपास थी। अजित पवार कुछ विधायकों को लेकर राजभवन पहुंचे थे। विधायकों का कहना है कि हमें यहां लाया गया था। सुबह-सुबह शपथग्रहण से हैरान हूं।’
उन्होंने कहा, ‘अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है और अनुशासनहीनता है। एनसीपी का कोई भी नेता या कार्यकर्ता एनसीपी-भाजपा सरकार के पक्ष में नहीं है। भाजपा को समर्थन देने का फैसला अजित का है। जितने भी विधायक जा रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि एक दलबदल विरोधी कानून है और उनकी विधानसभा सदस्यता खोने की संभावना ज्यादा है। प्रक्रिया के अनुसार अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। फडणवीस बहुमत सिद्ध नहीं कर पाएंगे। हम सरकार बना सकते हैं।’
एनसीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘पार्टियों के पास सभी विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित विधायकों की सूची थी। एनसीपी की एक ऐसी ही सूची अजित पवार के पास थी क्योंकि वह एनसीपी के विधायक दल के नेता थे। मुझे लगता है कि उन्होंने यही सूची प्रस्तुत की है। मुझे इस पर यकीन नहीं है लेकिन मुझे संदेह है कि ऐसा हो सकता है। हम इसपर राज्यपाल से चर्चा करेंगे। मुझे नहीं पता कि उन्होंने (अजित पवार ने) ऐसा जांच एजेंसियों के डर से किया है या नहीं। मेरे सूत्रों के अनुसार 10-11 विधायक राजभवन में मौजूद थे जिसमें से तीन इस समय मेरे साथ बैठे हुए हैं।’
एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगणे ने कहा, ‘अजित पवार ने मुझे कुछ चर्चा करने के लिए बुलाया था और वहां से मुझे अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते शपथग्रहण समारोह खत्म हो गया। मैं पवार साहब के पास गया और उन्हें बताया कि मैं शरद पवार और एनसीपी के साथ हूं।’ इसी तरह एनसीपी के दो और विधायक- संदीप क्षीरसागर और सुनील भुसारा ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें अनजाने में शपथ समारोह में ले जाया गया था। अब वह वापस आ गए हैं और उन्होंने शरद पवार के पक्ष में अपना समर्थन दिया है।
कांग्रेस नेता बाला साहेब थोराट और अशोक चव्हाण शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाराष्ट्र की सियासत को लेकर होने वाली संयुक्त प्रेस कांफ्रेस से बाहर निकल गए हैं। अब वह अलग से बैठक करेंगे।
वाईबी चव्हाण केंद्र में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के समर्थन में नारे लगाए। वह यहां एक प्रेस कांफ्रेंस के लिए पहुंचे हैं।
महाराष्ट्र में सरकार गठन पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि ‘यह संविधान का मजाक बन रहा है, भाजपा ने गोवा, मेघालय और अन्य राज्यों में भी ऐसा ही किया। राकांपा का कोई भी विधायक इसका समर्थन नहीं करेगा, अजित पवार अकेले उनके साथ गए हैं।’
वहीं एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि हमने उपस्थिति के लिए विधायकों से हस्ताक्षर लिए थे, उसका शपथग्रहण के लिए दुरुपयोग किया गया। ये धोखे से बनाई गई सरकार है और विधानसभा के फ्लोर पर हारेगी। पार्टी के सारे विधायक हमारे साथ हैं। बता दें कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के विधायकों की बैठक बुलाई है। ये बैठक शाम 4.30 बजे होनी है।
महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा, ‘लोग सोच रहे होंगे कि मैं आज के घटनाक्रम से खुश होउंगा, लेकिन मैं वास्तव में बहुत दुखी हूं। इसमें कांग्रेस को अनावश्यक रूप से बदनाम किया गया। उन्होंने कहा कि शिवसेना के साथ गठबंधन की सोच एक गलती थी। मैं सोनिया जी से अपील करता हूं कि वे सबसे पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी को भंग करें।’
शरद पवार की बेटी और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने वाट्सएप पर ऐसा स्टेटस डाला है जिससे लग रहा है कि परिवार दो हिस्सों में बंट गया है। उन्होंने लिखा, ‘परिवार और पार्टी अलग हो गए हैं।’ उनके इस बयान की पुष्टि उनके कार्यालय ने भी की है।
कांग्रेस ने एनसीपी पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता तारिक अनवर का कहना है कि कोई इस तरह से यू-टर्न लेगा किसी ने सोचा तक नहीं था।
शरद पवार का कहना है कि यह सब मेरी जानकारी के बिना हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह एनसीपी का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।’
राज्य में बदले इस सियासी समीकरण को लेकर आज कांग्रेस ने मुंबई में पार्टी कार्यालय में एक तत्काल बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल मौजूद रहेंगे।
राजनीतिक गलियारों में हो रही हलचल के दौरान कहा जा रहा था कि पांच साल तक उद्धव ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। हालांकि शरद पवार का ये भी कहना था कि अभी कुछ मुद्दों पर बात बाकी है। इसे लेकर शनिवार को प्रेस कांफ्रेस भी होनी थी, जिसमें स्थिति साफ हो जाती है। वहीं उद्धव ने बैठक को लेकर कहा था कि सकारात्मक चर्चा हुई। हम नहीं चाहते कि तीनों पार्टियों के बीच किसी भी मुद्दे पर बाद में कोई गतिरोध हो। हालांकि उन्होंने सीएम पद को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ‘शरद पवार साहब का इससे कोई लेना-देना नहीं है। अजित पवार ने महाराष्ट्र के लोगों को धोखा दिया है। कल नौ बजे तक ये महाशय (अजित पवार) हमारे साथ बैठे थे। बाद ये अचानक गायब हो गए। वो नजर से नजर मिलाकर बात नहीं कर रहे थे। उससे हमें शक भी हुआ था। जो व्यक्ति पाप करने जाता है उसकी नजरें जैसे झुकती हैं वैसे बी झुकी नजरों से बात कर रहे थे।’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा मुझे मत देखो यूं उजाले में लाकर, सियासत हूं मैं, कपड़े नहीं पहनती। इसे कहते हैं: जनादेश से विश्वासघात, लोकतंत्र की सुपारी।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, ‘महाराष्ट्र के बारे में पढ़कर हैरान हूं। पहले लगा कि यह फर्जी खबर है। निजी तौर पर बोल रहा हूं कि तीनों पार्टियों की बातचीत तीन दिन से ज्यादा नहीं चलनी चाहिए थी। यह बहुत लंबी चली। मौका दिया गया तो फायदा उठाने वालों ने इसे तुरंत लपक लिया। पवार जी तुस्सी ग्रेट हो। अगर यही सही है तो आश्चर्यजनक है। अभी यकीन नहीं है।’
देवेंद्र फडणवीस का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर में 22 जुलाई 1970 को हुआ था। उन्होंने 2006 में अमृता रानाडे से विवाह किया। वह एक्सिस बैंक में काम करती हैं। देवेंद्र और अमृता की एक बेटी दिविजा है। साल 2001 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए। देवेंद्र फणवीस भी किताबें लिखना पसंद करते हैं। वे तीन मराठी किताब लिख चुके हैं।
अजित पवार का जन्म 22 जुलाई, 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में उनके दादा-दादी के यहां हुआ। अजित पवार एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। उनके पिता वी शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजित पवार अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए।
राजनीति में वह एक राजनेता से आगे बढ़ते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बने। वह अपने चाहने वालों और जनता के बीच दादा (बड़े भाई) के रूप में लोकप्रिय हैं। अजित पवार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देओली प्रवर से की और उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड से की। पवार ने केवल माध्यमिक विद्यालय स्तर तक ही पढ़ाई की।