आखिर क्या कारण है कि वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जीत की पटरी पर लौटने के लिए टेस्ट कप्तान विराट कोहली से मदद मांगनी पड़ गई? इससे पहले भी कई मर्तबा टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कप्तान धोनी इतने असहाय नजर नहीं आए, जितने बांग्लादेश के खिलाफ मिली हार से दिखे। शायद, धोनी की परेशानी की असली वजह विराट का प्रदर्शन है।
ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर कप्तानी मिलने के बाद विराट कोहली का प्रदर्शन वनडे में लगातार गिरा है। आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कप्तानी मिलने के बाद विराट ने पिछली 13 पारियों में 330 रन बनाए हैं। उनका औसत सिर्फ 25.38 का रहा, जबकि करियर औसत 51.07 है। इस दौरान विराट ने सिर्फ एक सेन्चुरी लगाई है, जबकि चार बार दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके। दूसरी ओर, टेस्ट में विराट ने पिछली 10 पारियों में 66.54 की औसत से 726 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने चार सेन्चुरी और एक हाफ सेन्चुरी लगाई है।
महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली के बीच अलगाव की खबरें लगातार मीडिया में आती रहती हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे से शुरू हुआ इन खबरों का सिलसिला बांग्लादेश दौरे पर एकमात्र टेस्ट के लिए हरभजन सिंह के चयन तक चला। टीम के डायरेक्टर रवि शास्त्री भी विराट के पक्ष में रहते हैं। बांग्लादेश के खिलाफ मिली पहले मैच में हार के बाद हुई मीटिंग को पैचअप के रूप में देखा जा सकता है। धोनी चाहते हैं कि विराट जीत की पटरी पर लौटने के लिए उनकी मदद करें। इसका साफ मतलब यह है कि धोनी चाहते हैं विराट अपने वनडे प्रदर्शन में सुधार लाएं।
वर्ल्ड में 7वीं रैंकिंग की टीम बांग्लादेश ने दूसरी रैंकिंग के भारत को मीरपुर में पहले वनडे में ऐसी पटखनी दी कि भारतीय क्रिकेट प्रेमी इसे लंबे समय तक भूल नहीं पाएंगे। वर्ष 2007 के वर्ल्ड कप में पहले राउंड में बांग्लादेश से मिली हार को भुलाने में भारतीय खेल प्रेमियों को अगले चार साल लग गए थे और यह हार भी लंबे समय तक प्रशंसकों को सालती रहेगी।