नई दिल्लीः राज्यसभा में पिछले महीने 11 अगस्त को हुए हंगामे के मामले में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बड़ा बयान दिया है। खड़गे ने कहा कि मामले में जांच समिति बनाने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू से भी इस मामले में निवेदन किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब मामला पहले ही खत्म हो चुका है और अब सदन भी नहीं चल रहा है। एक बार जब मामला बंद हो जाए, तो उसे दोबारा खोला नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समिति गठित करना और मामले की जांच करना वांछनीय नहीं है। हमारा मानना है कि अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। मैंने इस मामले के बारे में अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को भी सूचित किया है। कई ने समिति के गठन से किया इनकार किया है।
दरअसल, राज्यसभा में हुए हंगामे को लेकर पिछले उदाहरणों और ऐसी कार्रवाइयों का गहन अध्ययन किया गया है। सूत्रों के जरिए यह बात भी सामने आई थी कि मामले को विशेषाधिकार समिति को भी सौंपा जा सकता है या फिर एक नई समिति का गठन भी किया जा सकता है। मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कुछ अमर्यादित घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई पर विचार किए जाने पर नायडू ने कहा था कि विस्तृत विचार के बाद जल्द से जल्द उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने विधेयकों को सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने पर भी अपने बात रखी थी।
इससे पहले सरकार ने राज्यसभा में 11 अगस्त को हुए हंगामे को लेकर सभापति को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि सीपीआई (एम) सांसद इलामारन करीम ने पुरुष मार्शल के साथ अभद्रता की। वहीं, कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम और छाया वर्मा ने महिला मार्शल को खींचा और प्रताड़ित किया। रिपोर्ट में कहा गया कि जब सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी सभापति के चैंबर से निकलकर अपनी सीट की ओर जा रहे थे, तब तृणमूल सांसद डोला सेना ने उनका रास्ता रोका और धक्का देने की कोशिश की थी।