उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक भानू के परिवार का सहयोग करने का वादा किया है। लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “हम शुरुआती जांच की है। मृतक के पास राशन कार्ड है और कोटा के अनुरूप उन्हें इस महीने अनाज दिया गया था। इसलिए अनाज की कोई किल्लत नहीं थी। हम आत्महत्या के कारणों की जांच करेंगे। हमें सुसाइड नोट मिला है।”
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में शुक्रवार को एक 50 वर्षीय शख्स ने आत्महत्या कर ली है। व्यक्ति का शव मैगलगंज रेलवे स्टेशन पर पड़ा मिला। व्यक्ति के पास एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए कोरोनावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया है।
रेलवे ट्रैक पर पड़े शव की पहचान भानू प्रताप गुप्ता नाम के शख्स के रूप में हुई है। भानू की जेब से मिले सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया है।
मृतक भानू मैगलगंज का रहने वाला था और शाहजहांपुर में एक होटल पर काम करता था। लॉकडाउन के बाद से भानू लंबे समय से घर पर ही था। भानू की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। भानू की तीन बेटियां और एक बेटा है और घर पर बूढ़ी मां और बीमारी का बोझ भी था। जिसका जिक्र उसने अपने सुसाइट नोट में किया है।
भानू की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है जिसमे उसने लिखा है कि राशन की दुकान से उसको गेहूं चावल तो मिल जाता था लेकिन ये सब नाकाफी था। शक्कर चायपत्ती, दाल, सब्जी, मसाले जैसी रोजमर्रा की चींजे अब परचून वाला भी उधार नहीं देता। मैं और मेरी विधवा मां लम्बे समय से बीमार हैं। गरीबी के चलते तड़प-तड़प कर जी रहे हैं। शासन प्रसाशन से भी कोई सहयोग नहीं मिला। गरीबी का आलम ये है कि मेरे मरने के बाद मेरे अंतिम संस्कार भर का भी पैसा मेरे परिवार के पास नहीं है। लॉकडाउन बढ़ता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक भानू के परिवार का सहयोग करने का वादा किया है। लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “हम शुरुआती जांच की है। मृतक के पास राशन कार्ड है और कोटा के अनुरूप उन्हें इस महीने अनाज दिया गया था। इसलिए अनाज की कोई किल्लत नहीं थी। हम आत्महत्या के कारणों की जांच करेंगे। हमें सुसाइड नोट मिला है।”
इस घटना पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सुसाइड नोट शेयर करते हुए ट्वीट किया है।
उन्होंने लिखा- “एक दुखद घटना में यूपी के भानु गुप्ता ने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली। काम बंद हो चुका था। इस शख्स को अपना और माता जी का इलाज कराना था। सरकार से केवल राशन मिला था लेकिन इनका पत्र कहता है और भी चीजें तो खरीदनी पड़ती हैं और भी जरूरतें होती हैं। ये पत्र शायद आज एक साल के जश्न वाले पत्र की तरह ‘गाजे बाजे के साथ’ आपके पास न पहुंचे। लेकिन इसको पढ़िए जरूर। हिन्दुस्तान में बहुत सारे लोग आज इसी तरह कष्ट में हैं।”