भोपाल : प्रदेश के मंडी व्यापारियों ने पिछले साल अक्टूबर माह में मंडी शुल्क घटाने को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन किया था। इसके बाद सरकार ने तीन महीने के लिए प्रति क्विंटल मंडी शुल्क 1.50 रुपये से घटाकर 50 पैसे कर दिया था। हालांकि, तीन महीने खत्म होने पर इसकी समीक्षा कर छूट बढ़ाने का आश्वासन भी था। अब यह अवधि 14 फरवरी को खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रदेशभर के मंडी व्यापारी 3 माह के लिए अवधि पुन: बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मप्र सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ समिति का कहना है कि पिछले तीन महीने में मंडियों में आवक न के बराबर हुई। ऐसे में सरकार को मिलने वाला राजस्व का आंकड़ा कम ही सामने आएगा।
इससे सरकार पुन: शुल्क बढ़ा सकती है। इसलिए मांग कर रहे हैं कि अवधि तीन महीने के लिए और बढ़ा दी जाए। इस अवधि में गेहूं-चना की फसल भी आ जाएगी, जिससे सरकार को अच्छा शुल्क मिलेगा। समिति के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में कृषि मंत्री कमल पटेल से मुलाकात की गई है और छूट को यथावत रखने की मांग की है। इसके बावजूद सरकार छूट जारी नहीं रखती है तो फिर से आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
समीक्षा में आवक ही नहीं होगी : करोंद अनाज मंडी व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष हरीशकुमार ज्ञानचंदानी ने बताया कि अक्टूबर में कई दिनों तक चली हड़ताल के बाद सरकार ने टैक्स घटाने का निर्णय लिया था, लेकिन तीन महीने की समयावधि काफी कम है। इस अवधि में सोयाबीन कम मात्रा में बिकने आया। अतिवृष्टि व अफलन के कारण सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई थी। अबकी बार आवक नहीं होने के कारण आय नहीं दिखेगी, जबकि सरकार समीक्षा इसी अवधि की करेगी। ऐसे में तो सरकार को आय मिलेगी ही नहीं और समीक्षा में नुकसान की बात ही सामने आएगी। यदि सरकार अवधि तीन माह और बढ़ाती है तो फायदा होगा, क्योंकि गेहूं-चना की फसल आने लगेगी। अबकी बार फसल बेहतर है।