मंडला- अभी कुछ दिनों पहले तक बारिश का बेसब्री से इन्तिज़ार करने वाले आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में बारिश ने ऐसी तबाही मचाई है कि चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है। बाढ़ के पानी से जिले के अलग अलग इलाकों में सैंकड़ों मकान जमींदोज हो गये तो वहीं स्कूल, अस्प्ताल और सरकारी राशन के गोदामों में पानी भरने से सब कुछ बर्बाद हो गया है। पानी काम होने बाद अब तबाही के मंज़र नज़र आने लगे है।
खास बात तो यह है कि करोड़ों की लागत से पिछले वर्ष बनकर तैयार हुई सड़क और पुल पहली बारिश में ही कागज की तरह बह गये। हैरानी तो यह है कि प्रशासन ने बाढ़ से बेघर हुये लोगों को अबतक किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं की है। बाढ़ से बर्बाद हुये कई गांव तो ऐसे भी हैं जहां चौबीस घंटे गुजर जाने के बाद भी कई प्रभावित जगहों पर प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी नही पहुंच पाये हैं। जिला मुख्यालय में नगर पालिका ने अब नाले के ऊपर पसरा अतिक्रमण और साफ़ – सफाई की सुध लेनी शुरू की है।
बाढ़ का पानी उतरने के बाद दिल दहलाने वाली तस्वीरें सामने आ रही है, जिससे तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। सैंकड़ों ग्रामीण पहाड़ी पर चढ़ अपनी जान बचाने में कामयाब रहे लेकिन बाढ़ उनके आशियाने को बहा ले गया। गांव के कच्चे मकान धराशायी हो गये वहीं रोजमर्रा का सारा सामान या तो बह गया या पानी में बर्बाद हो गया।
चारों तरफ पानी से घिरे इस गांव में मची तबाही की जानकारी के बाद भी प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा मदद के लिये न कल पहुंचा था और न आज पहुंचा है। ये तस्वीरें हैं जिला मुख्यालय से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर मलारा, मलारी और कोटा सांगवा ग्राम की जहां बाढ़ से बर्बाद हुये गांव के लोग मदद के लिये अधिकारियों का रास्ता देख रहे हैं। वहीं जिला मुख्यालय से लगे इमली गोहान गांव के सरकारी स्कूल का सिर्फ मलबा बचा हुआ है पूरी की पूरी बिल्डिंग बाढ़ अपने साथ बहा ले गया है।
सालों बाद मंडला से पिंडरई सड़क मार्ग का निर्माण होने को यहाँ के लोग बड़ी उपलब्धि थी लेकिन पिछले साल ही करोड़ों की लागत से बनी यह 40 किलोमीटर की सड़क पहली ही बारिश में कागज की तरह बह गया। लोगों की मानें तो ठेकेदार ने घटिया निर्माण कराया है जिसके चलते मंडला से पिंडरई के बीच बने सात बड़े पुल और कई किलोमीटर की सड़क बाढ़ में बह गया है। सड़क और पुलों के बहने से पिंडरई इलाके के करीब 300 गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है यहां भी प्रशासन के जवाबदार नहीं पहुंच पाये हैं। इसके साथ ही सुरंग देवरी से मलारा को जोड़ने वाले पुल के आगे की सड़क पानी के कटाव से बह गई।
आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में प्राकृतिक आपदा से निपटने में अबतक लाचार और मजबूर साबित हुआ है। आपदा से निपटने के लिये बारिश के पहले बंद कमरे में बैठक आयोजित कर औपचारिकता पूरी करने वाले अधिकारी आपदा के समय भी बहानेबाजी करते नजर आते हैं।
इनका कहना –
मंडला में ऐसी बारिश इससे पहले कभी नहीं हुई। इस बारिश में भयंकर तबाही हुई है। पानी भरा होने के कारण प्रशासन की टीम को पहुंचे में दिक्कत हो रही थी। पानी उतरने के बाद सभी पटवारी नुक्सान की रिपोर्ट तैयार कर रहे है। पीड़ितों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
कांति लाल बिशनोई,नायब तहसीलदार,मंडला
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली