नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 21वें रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में पर्यावरण संरक्षण का आह्वान किया और कहा कि जल व वनों की हिफाजत लोगों का दायित्व है। मोदी ने कहा, “आइये, हम पानी की प्रत्येक बूंद सहेजने का संकल्प लें। अगर पानी की एक बूंद भी बर्बाद हो, तो हमें इससे तकलीफ होनी चाहिए।”
उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश व राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा, “कई राज्यों ने सूखे से निपटने के लिए अद्भुत प्रयास किए हैं। यह पार्टी लाइन से हटकर है।” मोदी ने सूखे से निपटने के लिए ‘टपकन सिंचाई’ (ड्रिप इरिगेशन) तकनीक के उपयोग पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, “गुजरात व आंध्र प्रदेश ने सूखे को कम करने के लिए इस तकनीक का बखूबी उपयोग किया है। जन भागीदारी भी बहुत अहम है।” मोदी ने सूखाग्रस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात के बारे में कहा, “मैंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक साथ बुलाने व एक बैठक करने की बजाय प्रत्येक से अलग-अलग मिलने का निर्णय लिया।”
मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने तय किया है कि इस साल विश्व पर्यावरण दिवस (पांच जून) की थीम ‘वन्यजीवों की तस्करी के प्रति शून्य सहिष्णुता’ होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न परीक्षाओं में सफलता पाने वाली छात्राओं को बधाई दी और कहा कि वह ‘लड़कियों को आगे बढ़ते देख खुश हैं।’ मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा, “परीक्षाओं में अच्छे नंबर पाने वाले सभी उम्मीदवारों को बधाई हो। छात्राओं को चमकते या आगे बढ़ते देखकर खुश हूं।”
मोदी ने मध्य प्रदेश निवासी गौरव नामक छात्र का जिक्र किया, जिसे 89 प्रतिशत नंबर मिले लेकिन उसका परिवार इससे खुश नहीं है, क्योंकि वे चाहते थे कि वह 90 प्रतिशत नंबर लाए। मोदी ने गौरव को दिए अपने संदेश में कहा, “मैंने तुम्हारा पत्र पढ़ा और मुझे यकीन है कि यहां तुम जैसे और भी होंगे।”
उन्होंने कहा, “हर चीज में नकारात्मकता क्यों ढूंढी जाए? बेहतर होता कि तुम्हारे आसपास मौजूद हर कोई तुम्हारे नंबरों का जश्न मनाता।