मंडला- अभी तक आपने तरह तरह के मेले के बारे में देखा और सुना होगा,लेकिन आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के दलदली माता के मंदिर में लगने वाला मेला बड़ा ही अदभुत और चमत्कारी है। पूष महीने के पूर्णिमा वाले दिन से पांच दिनों तक लगने वाले इस ख़ास मेले में संतान की चाह रखने वाले हज़ारों दंपत्ति बड़ी शिद्दत के साथ दूर दूर से यहाँ पहुँचकर मन्नत मांगते हैं और लोगों का दावा है कि दलदली माता उनकी मुरादें पूरी करती हैं। मंदिर के सामने भरे पानी की भी लोगों द्वारा पूजापाठ की जाती है,लोगों मानें तो यहाँ का पानी पीने से सारे रोग दूर हो जाते हैं। यहां सोने से महिलाएं हो जाती हैं प्रेगनेंट !
मंडला जिले के नैनपुर तहसील अंतर्गत जेवनारा ग्रामपंचायत में दलदली माता का प्राचीन चमत्कारी मंदिर है। मंदिर के सामने दिख रहे पानी वाले स्थान की भूमि दलदली है। लोगों का दावा है दलदली माता इसी स्थान से प्रकट हुई हैं इसलिए इस सिद्ध स्थान का नाम दलदली माता रखा गया है। निसंतान दंपति पहले मंदिर के सामने दलदल पर भरे पानी की पूजा करते हैं और उसके बाद मंदिर के बगल में पालने के सामने बैठकर संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं।
संतान प्राप्ति के बाद दंपति अपनी संतान के साथ पहुँचते हैं और संतानदायनी दलदली माता पर प्रसाद अपर्ण करते हैं। 60 किलोमीटर दूर से आई श्यामा बाई और राजेश की मानें तो वो विवाह के वर्षों बाद भी उनकी संतान नहीं थी। डॉक्टरी इलाज़ कराकर थक चुके थे जिसके बाद वो दलदली माता की शरण में पहुंचकर मन्नत मांगी जिसके बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई है और इसलिए अब वो माता के मंदिर में प्रसाद चढाने आये हैं। श्रद्धालु श्यामा बाई, राजेश यादव, सरीता सिंह जैसे अनेक श्रद्धालुओं ने यहाँ से जुड़े चमत्कार गिनाते हुए अपनी मुराद पूरी होने की दास्तां बयां की।
संतानदायिनी कहे जाने वाली दलदली माता मंदिर के पुजारी श्यामलाल की मानें तो माता का यह स्थान अति प्राचीन है। पहले उनके दादा और पिता इस मंदिर के पुजारी थे उनके बाद वो ये जवाबदारी संभाल रहे हैं। पुजारी का दावा है कि माता के दरबार में मन्नत माँगने से हर मुरादें पूरी होती है। आसपास के जिलों के अलावा भोपाल और दिल्ली तक से निसंतान दंपति अपनी मन्नत लेकर माता के मंदिर पहुँचते हैं।
क्षेत्रीय एसडीओपी आर.एन. परतेती ने बताया कि इस मशहूर और प्रसिद्द माता के मंदिर में पांच दिनों तक लगने वाले मेले में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन द्वारा मेले में पुलिस बल को तैनात किया जाता है।
आधुनिकता के इस दौर में आज भी अधिकांश लोग आस्था और अंधविश्वास के फेर में फंसे हुए हैं। मेडिकल साईंस पर आज भी आस्था और अंधविश्वास भारी है तभी तो सैंकड़ों नहीं हज़ारों की तादाद में अनपढ़ नही पढ़े लिखे लोग भी संतान की चाह में अंधे होकर किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं।
रिपोर्ट:- सैयद जावेद अली