मुंबई- महाराष्ट्र में गढचिरौली की एक अदालत ने माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साईबाबा और जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा, प्रशांत राही और अन्य तीन को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को डीयू प्रोफेसर जीएन साईबाबा को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा पांच अन्य को भी प्रोफेसर के साथ ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य दोषी टिरके को 10 साल की जेल हुई।
गढ़चिरौली कोर्ट ने साईबाबा और जेएनयू स्टूडेंट हेम मिष्ठा समेत 6 आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) एक्ट की धारा 13, 18, 20, 38, 39 और आईपीसी की धारा 120 B के तहत दोषी करार दिया था। प्रोफेसर साईबाबा पोलियो से ग्रसित हैं और उनका 90 फीसदी शरीर अक्षम है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को महाराष्ट्र पुलिस ने मई 2014 में गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उनपर प्रतिबंधित संगठन भाकपा-माओवादी का कथित सदस्य होने, उन लोगों को साजोसामान से समर्थन देने और भर्ती में मदद करने के आरोप लगाया था।
आपको बता दें कि सन 2013 में खुफिया जानकारी के बाद पुलिस ने हेम मिश्रा और प्रशांत राही को गिरफ्तार भी किया था। उनके पास से पुलिस ने कुछ दस्तावेज बरामद किए थे। साईबाबा शारीरिक रूप से विकलांग हैं और कहीं आने-जाने को लेकर व्हीलचेयर के सहारे पर हैं। वो रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम की भी एक संस्था से जुड़े हुए हैं। [एजेंसी]