पहले अधिक मास, उसके बाद चातुर्मास लगने से अगले पांच महीने बैंड-बाजे, बरात पर विराम लगेगा। शादियों के साथ ही उपनयन, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होंगे। ज्योतिर्विदों के मुताबिक इस माह विवाह के अंतिम तीन मुहूर्त 10 से 12 जून तक हैं। इसके बाद सीधे 22 नवंबर देव उठनी ग्यारस से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
17 जून से 16 जुलाई तक अधिक मास रहेगा। इस माह में विवाह आदि मांगलिक कार्यों को निषेध माना गया है। 27 जुलाई से देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास लगेगा। ज्योतिर्विद् पंडित ओम वशिष्ठ ने बताया कि अधिक मास और चातुर्मास होने से विवाह की शुरुआत देव उठनी ग्यारस पर 22 नवंबर से होगी।
नवंबर में 22, 23,26, 27 और दिसंबर में 2 से 8 के अलावा 11, 12 दिसंबर को विवाह के मुहूर्त हैं। काली मंदिर के श्यामजी बापू के अनुसार मलमास और अधिक मास में तीर्थ, स्नान, दान, व्रत, पूजन, यज्ञ, हवन और अनुष्ठान का विशेष महत्व है। 14 जुलाई सुबह 6.25 बजे गुरु का सिंह राशि में प्रवेश होगा। एक मत यह भी है कि जब गुरु का सिंह राशि में प्रवेश होता है तो मालवा-निमाड़ में 13 महीने विवाह नहीं किए जाते।