भोपाल- दिवाली की रात भोपाल जेल से सिमी के 8 आतंकी एक हेड कॉन्स्टेबल को मारकर फरार हो गए थे। इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम ने उनकी तलाश की और दिवाली के अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को मार गिराया। पुलिस ने महज 8 घंटे के अंदर ही सिमी के 8 आतंकी मार गिराए थे, जिसके लिए भोपाल पुलिस की काफी तारीफ भी की गई।
वायरल होने के बाद चौकस हुआ प्रशासन
खंडवा में सिमी आतंकियों की कब्र पर शहादत का शिलालेख लगने की फोटो और विडियो वायरल होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में चोकसी बढ़ा दी है। और कब्रों पर लगे शिलालेख में जहाँ शहादत लिखा हुआ था वहां सफ़ेद कलर करवा दिया है। वहीँ मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन संदिग्धों पर नज़र रखे हुए हैं।
उपद्रवियों ने बना दी कब्र
बता दें कि सिमी के सभी 8 आतंकियों का एनकाउंटर अचारपुरा में हुआ था, जिनमें से 5 आतंकी खंडवा के थे। खंडवा के सभी पांचों आतंकियों के शव खंडवा के कब्रिस्तान में ही दफना दिए गए थे। लेकिन कुछ उपद्रवी लोगों ने शवों के स्थान पर कब्र बना दी और वहां ग्रेनाइट पत्थर के शिलालेख भी लगा दिए। वहीं दूसरी ओर, प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी।
आतंकियों को बना दिया शहीद
उपद्रिवियों ने न सिर्फ आतंकियों की कब्र बना दी है, बल्कि काले ग्रेनाइट के शिलालेख पर उसे शहीद भी करार दिया है। ग्रेनाइट पर सबसे पहले आयत लिखी गई है और उसके नीचे शुहदा ए गज्वातुलहिंद (शहीद) लिखा है। वहीं एनकाउंटर के स्थान अचारपुरा को शहादत का स्थान बताया गया है। ग्रेनाइट पर मारे जाने की तारीख और समय को शहादत का समय लिखा गया है। इसके नीचे लिखा है शहादत नौश फरमाई, अल्लाह आपकी शहादत कुबूल फरमाए, आमीन।
क्या कहना है अधिकारियों का?
मीडिया ने इस मामले की खबर प्रशासन को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एंटी टेरेरिस्ट फोर्स, दिल्ली के मंजीत सिंह बिट्टा ने कहा कि देश तोड़ने वाला कभी शहीद नहीं हो सकता, वह केवल आतंकी होता है। खंडवा के एसडीएम शाश्वत शर्मा ने कहा है कि वह जल्द ही इस मामले की छानबीन करेंगे। वहीं दूसरी ओर, खंडवा के पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने कहा है कि उन्हें इसकी जानकारी मिल गई है और वह जल्द ही इस मामले की छानबीन करेंगे।
कब और कैसे भागे थे आतंकी?
सिमी के 8 आतंकी भोपाल जेल से दिवाली की रात करीब 2-3 बजे के आसपास फरार हो गए थे। आतंकियों ने भागते समय वहां के हेड कॉन्स्टेबल रमाशंकर सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद आतंकियों ने चादर में लकड़ी बांधकर उसकी सीढ़ी बनाई और जेल की करीब 25 फुट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गए। घटना की जानकारी जेल प्रशासन को 4.30 पर मिली। आतंकियों ने भागने के लिए दिवाली की रात चुनी थी, ताकि पटाखों के शोर में उनकी हलचल किसी को पता न चले।