चाहे भारत हो या चीन, इटली, इण्डोनेशिया, थाइलैंड, या श्रीलंका, घर की सजावट और उपहार के लिये मुखौटों का महत्व हर जगह एक सा है। मुखौटों के लिये माध्यम की भी कमी नहीं। मिट्टी, लकड़ी, हाथी दांत, धातु, चमड़े, प्लास्टिक, पंखों, कपड़ों और लुगदी ये किसी भी चीज से बनाए जा सकते हैं। मुखौटे डरावने भी हो सकते हैं और लुभावने भी। यह आप पर निर्भर करता है कि आप क्या पसंद करते हैं और कहाँ लगाना चाहते हैं।
भारतीय मुखौटों में दुर्गा और गणेश की आकृतियाँ मिट्टी और धातु में अधिक लोकप्रिय होती हैं। अफ्रीका में जहाँ लकड़ी के बने डरावने चेहरे अधिक मिलते हैं वहीं चीन के मुखौटे प्लास्टिक और सिल्क में अपना सौन्दर्य समेटे दिखाई देते हैं।
सजावट के सुझाव
अगर आप मुखौटों से घर सजाना चाहें तो इन सुझावों से सहायता ली जा सकती है। किसी छोटी खिड़की के दोनो ओर एक एक मुखौटा लगाया जाय तो वह चैड़ी दिखेगी।
बड़े मुखौटे को अगर दीवार में न लगाया जा सके तो किसी कोने में रख कर उस पर प्रकाश व्यवस्था की जा सकती है और इस तरह घर के एक उपेक्षित कोने को रोचक बनाया जा सकता है। छोटे मुखौटों को एक कतार में खड़ा, बेड़ा या गोल आकर में सजाया जा सकता है।
मुखौटे और पेंहृगशुई
घर में सम्पन्नता लाने के लिये विकसित किये गये चीनी विज्ञान पेंहृग शुई में मुखौटों से सम्बधित रोचक जानकारी दी गयी है। पीतल के बने मुखौटे के अगर पूर्व या दक्षिण दीवारों पर लगाया जाये तो वे रोग मुक्ति में सहायक होते हैं। अगर किसी मुखौटे में तीर या तलवार हो जहाँ आप पढ़ते, काम करते, बैठते हैं उस ओर न हो अथवा ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। दुखी चेहरे वाले मुखौटे ’यिन’ यानी उदास प्रवृत्तियों को फैलाते है, इसके लिये ध्यान रखें कि सजावट में अधिक ’यांग’ यानि खुशी की प्रवृत्ति जगाने वाली वस्तुओं की अधिकता रखनी होगी।
मुखौटे और वास्तु शास्त्र
भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी देवताओं के चेहरे की ओर पैर कर के नहीं सोना चाहिये। अगर आप उनकी पूजा करते हैं तो उन्हें इस प्रकार रखा जाना चाहिये कि पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व की ओर रहे। कुल मिला कर यह कि घर में मुखौटों का संसार आपका अपना संसार है। उनके रंग और भाव आपके मन और भावों पर प्रभाव ड़ालते हैं। यह आपके हाथों में है कि आप घर का वातावरण कैसा रखना चाहते हैं।