मुंबई- मीट बैन मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और बीएमसी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में हलफनामा देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। मीट पर बैन के खिलाफ विक्रेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मांसाहार पर बैन को लेकर भेदभाव क्यों? इस बारे में सरकार को जवाब देना होगा। गौरतलब है कि जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व को देखते हुए राज्यसरकार ने राज्य में मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका मनसे और शिवसेना ने भी विरोध किया है।
वहीं शिवसेना और मनसे ने आज मुंबई में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। इससे पूर्व शिवसेना ने भी जैन समुदाय को चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि जैन समाज मुसलमानों की तरह तुष्टिकरण के रास्ते पर न चलें। वहीं जैन समुदाय मीट बैन पर अड़ा हुआ है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे ने लिखा था कि अहिंसा के नाम पर किसी को उसके खाने से दूर करना भी एक तरह की हिंसा है। उन्होंने लिखा है कि जैन समुदाय अपनी बात मनवाने के लिए जिद पर इसलिए अड़ा है कि क्योंकि अर्थव्यवस्था में उनका दखल है, लेकिन ये शिवाजी का महाराष्ट्र है और ऐसे लोगों से निपटना हमें आता है।
ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 1992-93 के दंगों में हिन्दू होने की वजह से मराठियों ने जैनों और उनके कारोबार को बचाया था, लेकिन अगर वे ऐसी मांगें करते रहे तो उनके साम्राज्य को ज़मीदोज करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
पर्यूषण अल्पसंख्यक जैन समाज का 15 दिन का पर्व है, जिसमें वे उपवास रखते हैं और समाज में अहिंसा का प्रचार करते हैं। इस पर्व में मांस बिक्री पर शहर में पाबन्दी के लिए बीजेपी ने जोर लगाया। तो शिवसेना उसके विरोध में खड़ी हो चुकी है। राज्य में पर्यूषण पर्व के चलते 2 दिन मांस बिक्री पर रोक लगाने के आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी हो चुके हैं।एजेंसी