भाजपा के दो सांसदों ने राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग गठित करने की मांग की है। यह मांग उत्तर प्रदेश के घोसी से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर और हरदोई से सांसद अंशुल वर्मा ने की है।
दोनों सांसदों का कहना है कि वे ‘पुरुष आयोग’ के गठन एवं लोगों का समर्थन जुटाने के लिए 23 सितंबर को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इससे पहले दोनों ही सांसद 3 अगस्त को संसद सत्र के दौरान पुरुष आयोग बनाने की मांग कर चुके हैं।
भाजपा सांसद अंशुल वर्मा के मुताबिक वे इस मसले को संसद की स्थायी समिति के सामने उठा चुके हैं। उनका कहना है कि दहेज संबंधी कानून 498ए का महिलाएं दुरुपयोग कर रही हैं और इस कानून में संशोधन की जरुरत है।
उनके मुताबिक साल 1998 से 2015 के बीच इस कानून के तहत 27 लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। वह कहते हैं कि इस तरह के कानूनों के दुरुपयोग से बचने के लिए पुरुषों के पास भी बचाव के लिए एक संस्था होनी चाहिए।
सांसद राजभर भी इसके पक्ष में हैं। उनका कहना है कि पुरुष भी पत्नियों की प्रताड़ना के शिकार होते हैं और इस तरह के मामलों से अदालतें भरी हुई हैं। वह कहते हैं कि महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून और मंच दोनों मौजूद हैं, लेकिन अभी तक पुरुषों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि उनका यह मतलब नहीं है कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरुष गलत होता है। लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं, जो एक-दूसरे पर अत्याचार करते हैं। राजभर ने कहा कि उन्होंने शनिवार को संसद की एक स्थायी समिति के समक्ष इस मुद्दे को रखा है।
वहीं दोनों की मांगों पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा का कहना है कि देश में हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस तरह के आयोग के गठन की कोई आवश्यकता है।
एनजीओ सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन यानी एसआईएफएफ के फाउंडर और नागपुर के रहने वाले राजेश वखरिया का कहना है कि हमारा समाज पितृसत्तात्मक है, लेकिन पतियों और उनके अधिकारों को बचाने के लिए कोई कानून नहीं है। दहेज विरोधी कानून के नाम पर उन लोगों का शोषण होता है।
राजेश को तकरीबन 160 पुरुषों का समर्थन मिला है, जिन्होंने यूपी के वाराणसी में आकर गंगा किनारे अपनी तलाकशुदा जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया और श्राद्ध मनाया। इस दौरान पुरुषों ने एक खास तांत्रिक पूजा भी कराई, ताकि उन्हें बुरी यादों से छुटकारा मिल सके।
राजेश के मुताबिक नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 6.5 मिनट में एक पति अपनी पत्नी से मानसिक प्रताड़ित होकर आत्महत्या करता है।
गौरतलब है कि पिछले साल महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी माना था कि उन्हें भी इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं, जिसमें पुरुषों ने महिलाओं पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग से ऐसी शिकायतें सुनने के लिए अलग से सेल बनाने का सुझाव दिया था।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग ने यह कहते हुए इस सुझाव पर अमल करने से इंकार कर दिया था कि मंत्रालय की बात मानने के लिए बाध्यकारी नहीं है।