नई दिल्ली- अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या रोकने पर चल रही बहस के बीच जारी नया आंकड़ा कहता है कि देशभर में 2.20 करोड़ से अधिक मामले निपटान का इंतजार कर रहे हैं जिनमें से 14 प्रतिशत से अधिक के लिए सुनवाई की आगामी तिथि तय नहीं की गई है।
इसका अर्थ यह हुआ कि अदालतों ने इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है कि इन 31,45,059 मामलों की अगली सुनवाई कब होगी।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड पर उपलब्ध डेटा के अनुसार इस वर्ष 24 जून को विभिन्न अदालतों में 2,20,75,329 मामले लंबित थे। इनमें से 31,45,059 या कुल लंबित मामलों में 14.25 प्रतिशत मामलों का वर्गीकरण ऐसे मामलों के तौर पर किया गया है जिनकी अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
डेटा के अनुसार जिन मामलों की सुनवाई की अगली तारीख तय नहीं हुई है, उनमें से 21,75,750 फौजदारी मामले हैं जबकि 9,69,309 मामले दीवानी मामले हैं।
मामलों की सुनवाई की अगली तारीख तय नहीं होने के मामले में गुजरात सबसे आगे है। गुजरात में इस प्रकार के 20.46 प्रतिशत मामले हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल 14.96 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 13.13 प्रतिशत का नंबर आता है। दिल्ली में ऐसे 3.22 प्रतिशत मामले हैं।
उच्चतम न्यायालय ईकमेटी की हालिया बैठक में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उन मामलों की संख्या घटाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाने का सुझाव दिया जिनकी सुनवाई की अगली तारीख अभी तय नहीं की गई है।
अदालतों में दो करोड़ से अधिक लंबित मामलों में से 10 प्रतिशत से अधिक मामलों का पिछले 10 वर्षों से निपटारा नहीं हुआ है। [एजेंसी]