मुंबई – दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के स्मारक-निर्माण के विरोध पर शिवसेना खिन्न है। स्मारक का विरोध करने वाली मुस्लिम पार्टी एमआईएम को उसने करारा जवाब दिया है। शिवसेना की नेता और प्रवक्ता डॉ. नीलम गोर्हे ने एमआईएम पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर देश और समाज के लिए लड़ने वाले नेताओं के स्मारक नहीं बनेंगे तो क्या अफजल खान जैसों की कब्रें बनाई जाएंगी।
बता दें कि एमआईएम के विधायक इम्तियाज जलील ने महाराष्ट्र में सरकारी जमीनों पर छत्रपति शिवाजी महाराज, बालासाहेब ठाकरे और गोपीनाथ मुंडे का स्मारक बनाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि इन जगहों पर सरकारी अस्पताल बनाए जाएं। इसके साथ ही विधायक इम्तियाज जलील ने हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी बंद करने और उस पैसे से ऊर्दू स्कूलों और उच्च शैक्षणिक संस्थान खोलने की बात भी कही है।
इसके जबाब में गोर्हे ने कहा कि एमआईएम समाज में भावनाएं भड़काने की कोशिश कर रही है। स्मारक की जगह पर अस्पताल बनाने के मांग करके वह देश के धर्मनिरपेक्ष लोगों में भ्रम फैलाने का काम रह रही है। उन्होंने ने आरोप लगाया कि एमआईएम छत्रपति शिवाजी महाराज और बालासाहेब ठाकरे के स्मारक का विरोध इसलिए कर रही है ताकि कट्टर मुसलमान उसके साथ जुड़ें।
डॉ. गोर्हे ने कहा कि हमारे यहां सरकारी अस्पतालों का अभाव है, लेकिन विकसित देशों में भी पर्याप्त अस्पताल नहीं है। वहां भी हर मरीज तक नहीं पहुंचा जा सकता है। जबकि हमारे देश के बड़े अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा भी दी गई है। हमारी पार्टी मरीजों को प्रथमिकता देती है पर भावी पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए महापुरुषों के स्मारक भी उतने ही आवश्यक हैं।
उधर बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे के स्मारक के विरोध पर उनके भतीजे और एनसीपी नेता धनजंय मुंडे ने भी एमआईएम की मांग को संविधान के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के स्मारक का विरोध कर एमआईएम उनसे मिलने वाली प्रेरणा को नकारने का काम कर रही है।