नई दिल्ली- बलात्कार और यौन शोषण जैसे संगीन मामलों में फंसे आसाराम को रेप के दूसरे मामले में भी जमानत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की ज़मानत अर्जी को ख़ारिज कर दिया। आसाराम के खिलाफ दूसरा रेप केस गुजरात में लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अभी दो दिन पहले ही हमने आसाराम की एक और मामले में ज़मानत अर्जी खारिज की थी, तो अब कैसे ज़मानत दे सकते हैं। अगर ज़मानत दे भी दी जाए, तो भी वह जेल से बाहर नहीं आ सकते क्योंकि दूसरे मामले में वो जेल में ही बंद रहेंगे।
आसराम ने अपनी याचिका में यह मांग भी की थी कि राजस्थान और गुजरात के दोनों मामलों में एक साथ ट्रायल चलाया जाए। लेकिन कोर्ट ने कहा कि पहले राजस्थान में सुनवाई पूरी होगी। उसके बाद गुजरात के मामले में ट्रायल शुरू किया जाएगा।
सोमवार को आसाराम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट से आसाराम को दोहरा झटका लगा था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर की बेंच ने आसाराम पर गलत मेडिकल रिपोर्ट देने के लिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश तो दिया ही साथ ही उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को पहले अंतरिम ज़मानत देने से और फिर स्थायी ज़मानत देने से भी मना कर दिया। मुकदमे में देरी और तीन साल से जेल में बंद रहने को आधार बनाते हुए आसाराम ने स्थायी ज़मानत देने की मांग की थी।
इससे पहले कोर्ट ने आसाराम को स्वास्थ के आधार पर ज़मानत देने से मना कर दिया था। ख़राब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आसाराम ने जमानत मांगी थी। कोर्ट ने डॉक्टरों की रिपोर्ट और राजस्थान सरकार के जवाब को देखते हुए आसाराम की याचिका ठुकरा दी थी।
अंतरिम ज़मानत के मामले में आसाराम के पैरोकार ने जेल सुपरिटेन्डेंट का फर्ज़ी पत्र लगाया था। उस फर्ज़ी पत्र के मुताबिक आसाराम की हालत इतनी ख़राब है कि वह बिस्तर पर ही नेचुरल कॉल करते हैं जबकि सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है। [एजेंसी]