सुल्तानपुर : हौसला-हिम्मत और कुछ कर गुज़रने का जज्बा हो तो क्या गरीबी और क्या जाति-धर्म की बाधाएँ हर एक शिकस्त खा जाती हैं। यहां दलित परिवार में जन्मी और गुरबत में ज़िंदगी बसर करने वाली ‘पाखी’ ने इस बात को चरितार्थ किया। थाईलैंड में आयोजित मिस एंड मिस्टर इंडिया-एशिया पैसिफिक सौंदर्य प्रतियोगिता में उसने दूसरा स्थान हासिल करते हुए उसने रैंप पर देश का परचम लहराया। पाखी ने ये कामयाबी हासिल परिवार के साथ-साथ जिले का नाम रोशन कर डाला।
गौरतलब रहे कि थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में हिंदुस्तान की आज़ादी से ठीक एक दिन पहले 14 अगस्त को मिस एंड मिसेज इंडिया-एशिया पैसिफिक सौंदर्य प्रतियोगिता का फाइनल था। फाइनल राउंड में भारत की पाखी के अलावा दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका की 30 माडल रैंप पर उतरी थीं। इसमें इंडोनेशिया की क्षिब्रा टुबके को मिस एंड मिसेज इंडिया-एशिया पैसिफिक का विजेता चुना गया। जबकि पांखी उप विजेता चुनी गईं।
दिल्ली में आडिशन के दौरान मिली थी कामयाबी
परिजनों की मानें तो इस आडिशन के लिए देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली में सेलेक्शन होना था। इसके लिए पाखी ने मां को राजी किया फिर अपने टीचर के साथ वो दिल्ली पहुंच गई। यहां क़रीब 50 से 55 प्रतिभागियों में 17 जून को देश की ओर से उसका सेलेक्शन हो गया।
इंटर पास पाखी को बचपन से था डांस का शौक
आपको बता दें कि पाखी किसी रईस खानदान की बेटी नहीं बल्कि जिले के अखण्डनगर थाना क्षेत्र के मीरपुर प्रतापपुर बसैतिया गाँव के एकदम मध्यम परिवार की बेटी है। पिता तीर्थराज फीजियोथिरेपिस्ट हैं और मां दीपा हाउस वाइफ। उसकी एक और बहन है जो कक्षा 8 में है।पाखी के चाचा संजय बताते हैं कि वो मां के साथ बनारस में रहती है और यहां डीएलडब्लू कालेज से पिछले साल इन्टर की परीक्षा पास की है। बावजूद इस सबके बचपन से पाखी को मॉडलिंग का शौक था और उसने अपने शौक में गरीबी को आडे हाथ नहीं आने दिया। वाराणसी के नाटी इमली संस्थान में मॉडलिंग और फैशन डिजाइनिंग सीखना शुरू किया साथ ही वो टीवी के शो देखकर अपने को निखारती रही और आज उसने अपने शौक से शिखर को प्राप्त ही कर लिया।
रिपोर्ट-राम मिश्रा