विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन पर मीटू अभियान के तहत एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
जिसके चलते विपक्ष लगातार उनपर दवाब बना रहा था। भाजपा सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में पहली बार किसी मंत्री ने इस्तीफा दिया है।
बता दें कि यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर मामले की गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई भी होगी।
दूसरी तरफ मंत्री के खिलाफ गवाही देने वाली महिला पत्रकारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अब प्रिया रमानी समेत इस मामले में गवाही देने वाली पत्रकारों की संख्या 20 हो गई है। अकबर के इस्तीफे के बाद प्रिया रमानी ने ट्वीट किया है।
मंगलवार को पत्रकार तुषिता मेहता ने आरोप लगाया, ‘1990 के दशक में अकबर ने होटल के एक कमरे में मुझे बुलाया था। उस समय वह टेलीग्राफ के संपादक थे और मैं ट्रेनी थी। मेरी उम्र 22 साल थी। हैदराबाद में डेक्कन क्रोनिकल में काम करने के दौरान अकबर ने दो बार मेरा यौन शोषण किया।’
क्विंट के लिए लेख लिखने वाली कारोबारी स्वाति गौतम ने भी मंगलवार को ही आरोप लगाया कि एक बार अकबर ने मुझे भी होटल के कमरे में बुलाया था।
उस वक्त मैं कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ती थी और उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित करने गई थी। उस समय वह केवल तौलिये में थे। कमरे में मेरे घुसते ही उन्होंने मेरी तरफ गिलास लुढ़काते हुए अपने लिए ड्रिंक बनाने को कहा।
शुरू में तो मैं अवाक रह गई लेकिन तत्काल संभली और झुकते हुए गिलास उनकी तरफ लुढ़का दिया। उन पर कड़ी नजर डालते हुए उस कमरे से बाहर निकल गई।
अकबर पर अब तक 16 महिलाएं मीटू मुहिम के तहत यौन उत्पीड़न का आरोप लगा चुकी हैं।
महिला प्रेस कॉर्प्स के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इस मामले पर सरकार के ढुलमुल रवैये को लेकर नाराजगी जताई है।
एशियन ऐज में काम कर चुकीं महिला पत्रकारों ने साझा बयान जारी कर कहा है कि अकबर के खिलाफ लड़ाई में रमानी अकेली नहीं हैं।
उन्होंने अदालत में भी अपने बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया है। अकबर के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला पत्रकारों की संख्या अब 20 हो गई है।