नई दिल्ली- समलैंगिकों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सुदृढ़ता देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने ट्रांसजेंडर संरक्षण विधेयक को पास कर दिया है। जिसके तहत अब ट्रांसजेंडर का शोषण करने का दोषी पाए जाने पर कठोर दंड का प्रावधान है, इसमें दो साल तक की कैद भी हो सकती है। साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।
इस बिल के पास होने के बाद समाज में हेय दृष्टि से देखे जाने वाले समलैंगिकों को कई विशेष अधिकार हासिल हो जाएंगे। इस बिल के जरिए उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने और मुख्य धारा में लाने में सहयोग मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने ट्रांसजेंडर बिल 2016 को पास किया। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक इस बिल को पास करके सरकार ने समलैंगिकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से मजबूत होने का रास्ता दिया है। बता दें कि समलैंगिकों के साथ भारत के कई हिस्सों में शोषण किया जाता है। उन्हें कई जगहों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। दरअसल समलैंगिकों को न तो पुरुष माना जाता है और न ही स्त्री। उनकी श्रेणी साफ नहीं होने के चलते उनके साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जाता है। ऐसे में इस बिल से उन्हें सामाजिक मजबूती मिलने की संभावना है।
थावर चंद गहलोत की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक, 2016’ का ड्राफ्ट पेश किया है। थावरचंद गहलोत की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार विधेयक, 2016’ का एक मसौदा कैबिनेट नोट के जरिए सभी मंत्रालयों को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा गया है। इस पर 23 मार्च टिप्पणियां मांगी गई हैं।
बता दें कि 2011 के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 6 लाख लोग ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी से हैं। ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के संरक्षण से जुड़े एक विधेयक को एक साल पहले राज्यसभा से मंजूरी मिली थी। जिसके बाद सरकार ने ऐसे लोगों को भेदभाव से बचाने के लिए खास कानून का रास्ता साफ कर दिया है।
ये बिल राज्यसभा सांसद तिरूची शिवा ने पेश किया था, जिसे राज्यसभा ने 24 अप्रैल 2015 को मंजूरी दी थी। 45 साल में यह पहली बार था, जब सदन ने किसी निजी सदस्य विधेयक को मंजूरी दी थी। ऐसे में अब मोदी सरकार भी सदन को आश्वस्त करेगी कि उसने काफी विचार-विमर्श के बाद लोकसभा में खुद का विधेयक पेश करने जा रही है।