नई दिल्ली – राज्यों के मद से कटौती, स्वास्थ्य और रक्षा बजट में भारी कटौती के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने अब उच्च शिक्षा बजट में 3900 करोड़ रूपए की भारी कटौती की है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, वर्ष 2014-15 के संशोधित बजट अनुमानों में करीब 3900 करोड़ रूपए की कटौती कर दी गई है। पहले बजट में 16900 करोड़ रूपए का प्रावधान था जिसे घटाकर 13000 करोड़ रूपए कर दिया गया है।
अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि उच्च शिक्षा बजट में कटौती का सर्वाधिक असर नए आईआईटी संस्थानों पर पड़ेगा, जिन्हें इस साल अपने-अपने कैंपस में जाना था। 2014-15 में सरकार ने 16 नए आईआईटी संस्थानों के लिए 2500 करोड़ रूपए दिए थे, जो अब 2337 करोड़ रूपए कर दिए गए हैं। कैंपस बनाने के लिए जो फंड मिलना था, वह अब इन संस्थानों को इस साल नहीं मिल पाएगा।
संप्रग सरकार ने नए आईआईटी संस्थानों की घोषणा की थी जिनमें से आठ कामचलाऊ कैंपस से चल रहे हैं। इनमें से छह को इस वर्ष जुलाई तक स्थाई कैंपस में चले जाना है।
आईआईटी के सामने अब रिसर्च फैलोशिप के लिए मिलने वाले स्टाइपेंड भुगतान की समस्या आएगी। सरकार ने हाल में इसमें वृद्धि कर जूनियर फेलो को 16000 से बढ़ा 25000 रूपए मासिक देने की घोषणा की है। सीनियर फेलो के लिए रकम 18000 से 28000 रूपए की गई है। इससे 150 करोड़ रू. का अतिरिक्त बोझ पड़ा है।