नई दिल्ली: 2014 में नरेंद्र मोदी और 2015 में नीतीश कुमार के चुनाव अभियानों में बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके रॉबिन शर्मा, अब यूपी में प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव अभियान का मोर्चा संभालने वाले हैं। वे इससे पहले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की संस्था से जुड़े थे। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो चुके हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक रॉबिन शर्मा लोकसभा चुनावों में प्रियंका गांधी वाड्रा को उनके चुनाव अभियान में एक स्वतंत्र सलाहकार की हैसियत से मदद करेंगे। वे पहले प्रशांत किशोर की अगुवाई वाले सिटिजेन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस(CAG)और इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) जैसी संस्थाओं से जुड़े हुए थे, जो समय-समय पर अलग राजनीतिक दलों के चुनाव कैंपेन का जिम्मा संभाल चुके हैं।
वैसे गांधी परिवार में चुनावी रणनीतिकार के रूप में इनकी एंट्री नई भी नहीं है। वे 2017 में इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) की ओर से उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की चर्चित ‘खाट सभा’ भी करा चुके हैं। ये ‘खाट सभा’ लोगों के बीच लोकप्रियता के लिए कम और खाट उठाकर ले जाने को लेकर ज्यादा चर्चित हुई थी। बाद में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की दोस्ती हो गई, कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा, ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ का नारा भी बुलंद हुआ, लेकिन कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत पाई।
रॉबिन शर्मा के रिकॉर्ड में कामयाबी का सबसे पहला और बड़ा सेहरा 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनावी मुहिम से जुड़ा हुआ है। उस चुनाव में वे सीएजी की तरफ से आयोजित ‘चाय पे चर्चा’ कैंपेन के मुखिया थे। यह कार्यक्रम बहुत ही लोकप्रिय हुआ था और उसके बाद मोदी के नेतृत्व में 1984 के बाद पहलीबार देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। आज भी जब देश में चुनाव अभियानों का जिक्र होता है, तो उसमें मोदी के 2014 के चुनावी कैंपेन और प्रशांत किशोर एवं उनकी टीम की चर्चा जरूर होती है। उस चुनाव अभियान ने देश में चुनाव प्रचार का अंदाज और असर दोनों बदलने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव भी हाई प्रोफाइल हो गया था। इसमें दोबारा मोदी और नीतीश की सियासी टक्कर होने वाली थी। प्रशांत किशोर मोदी का साथ छोड़कर नीतीश के पास जा चुके थे और उन्होंने रॉबिन को ही नीतीश कुमार के साइकिल अभियान ‘हर घर नीतीशे, हर मन नीतीशे’ के संचालन का भार सौंपा था। प्रशांत किशोर और उनकी टीम को उस चुनाव में भी कामयाबी मिली और नीतीश कुमार, लालू यादव की पार्टी के साथ मिलकर बड़ी बहुमत से सरकार बनाने में सफल रहे। 2014 और 2015 की इन्हीं सफलताओं ने प्रशांत किशोर और रॉबिन शर्मा को 2017 में राहुल की कैंपेन टीम में शामिल कराया, लेकिन उसमें इनकी चुनावी रणनीति की बुरी तरह भद्द पिट गई। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी 300 का आंकड़ा पार कर लिया।