उज्जैन- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कुंभ की परंपरा हजारों साल पुरानी है। हम आत्मा के अमरत्व से जुड़े हुए हैं।कुंभ विशाल भारत को समेटने का माध्यम है। परंपराएं कभी रुकावट नहीं बनना चाहिये। सिंहस्थ महापर्व-2016 के दौरान ग्राम निनौरा में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कुम्भ मेले की परंपरा कैसे प्रारम्भ हुई इसके पीछे कई प्राचीन किस्से प्रचलित हैं। वैसे कुंभ का मेला 12 साल में एक बार होता है। इसमें विशाल भारत को अपने में समेटने का प्रयास होता है।
मोदी ने कहा कि उज्जैन के कुंभ में इस आयोजन के जरिए नया प्रयोग हुआ है। देश दुनिया के विद्वानों ने मंथन कर 51 अमृत बिंदु निकाले हैं।इनसे समाज की दिशा तय होगी। ये 51 अमृत बिंदु जनमानस को और वैश्विक समूह को भारत इस तरह से सोचता है बताने में सार्थक सिद्ध होंगे। कुंभ प्रबंधन के लिए सबसे अच्छी केस स्टडी है। देश और दुनिया के जानकारों लोगों ने 2 साल मंथन किया।12 दिन से विचार-विमर्श किया। 3 दिन तक यहां रहकर देश और दुनिया को संदेश देने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि आज विश्व ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा है। हमें इसका मिलकर सामना करना होगा।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस समारोह की एक विशेषता है यहां श्रीलंका के राष्ट्रपति और विपक्ष के नेता भी मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषि मुनि जो हर पल समाज के लिए चिंतन करते थे, भविष्य के अन्वेषण को खोजने का कार्य करते थे। उन्होंने एक करोड़ लोगाें के रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि नर यदि सही काम करे तो नारायण बन जाता है।हम कर्म की महानता को महत्व देते हैं। हमें अपनी बातों को वैज्ञानिक आधार पर दुनिया के सामने रखना पड़ेगा। हम पारिवारिक मूल्यों को महत्व देते हैं। मोदी ने आयोजन के लिए मप्र सरकार और उज्जैन के लोगों को बधाई देते हुए आशा जताई कि अगले कुंभ में विचार मंथन की प्रक्रिया और तेज होगी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना भी समारोह में मौजूद थे। उनकी प्रधानमंत्री ने अगवानी की। इससे पहले इंदौर विमानतल पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और महापौर मालिनी गौड़ ने मोदी का आत्मीय स्वागत किया।विमानतल से मोदी निनौरा पहुंचे।उन्होंने हेलिकॉप्टर में बैठकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र का जायजा लिया। मोदी ने महाकुंभ में सिंहस्थ का घोषणा पत्र भी जारी किया। इसे अन्य देशों को भी भेजा जाएगा।
अपने संबोधन में सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश में आनंन मंत्रालय का गठन होगा। नदियों का संरक्षण आवश्यक है। उनके अनुसार समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे लेकिन इस विचार मंथन में 51 रत्न निकले।प्रदेश में प्रायमरी स्कूलों में नैतिक शिक्षा में गीता के पाठ शामिल किए जाएंगे।
सीएम ने प्राकृतिक खेती पर बल दिया और कहा कि राज्य को जैविक प्रदेश बनाया जाएगा। नदियों को पुनर्जीवित करने के साथ मध्यप्रदेश में अमरकंटक से जन जागरण शुरू किया जाएगा। नदियों के किनारे पर पेड़ लगाये जायेंगे।
समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि संतों के विचार-विमर्श द्वारा समाज का मार्गदर्शन करने वाले समागम को कुम्भ कहते हैं। हमारी संस्कृति की विशेषता है कि किसी प्रकार की आसक्ति न रख कर हम वैश्विक विकास की बात करते हैं। सहयोग व समन्वय, साथ-साथ जीने का भाव हमारी संस्कृति हमें सिखाती है। पहले अपनी नश्वर देह को पहचानो फिर दूसरी बातों पर विचार करो।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने अपने संबोधन में आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में श्रीलंका के लिए बेहतर काम किए हैं। इस मौके पर जहां दुनिया के पांच देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं वहीं अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री भी बतौर अतिथि विशेष रूप से मौजूद रहे।गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मंच पर हैं। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह आदि भी मौजूद हैं।
विचार महाकुंभ के आखिरी दिन सम्यक जीवन पर वैचारिक सत्र में कई विद्वान अपने विचार व सुझाव रखेंगे। विचार महाकुंभ में देश के संत-महात्माओं, विद्वान-मनीषियों ने विभिन्न मुददों पर मंथन किया। तीन दिनों के दौरान विचार महाकुंभ में स्वच्छता सरिता कुंभ, सतत विकास एवं जलवायु परिवर्तन, सम्यक जीवन,षक्ति कुंभ, कृषि एवं कुटीर कुंभ के वैचारिक सत्र आयोजित हुए हैं।