अमेठी: एक और पुरे देश में स्वच्छता लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान चला रहे हैं तो वही अमेठी के सफाईकर्मी देश के प्रधान सेवक के सपने को पूरा हीने में बाधा डाल रहे हैं। अमेठी जनपद के मुसाफिरखाना तहसील में सफाई कर्मियों ने ,तू डाल-डाल तो हम पात-पात वाला फंडा अपना लिया है। वह उच्चाधिकारियों के कड़े निर्देश के बाद भी अपने कार्य को पूरा नहीं कर रहे हैं।
स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारों से सेटिंग कर सफाई कर्मी ऐसी जगहों पर तैनाती करा रहे हैं जहां आबादी कम हो और काम न करना पड़े। विडंबना यह है कि स्थानीय विभागीय अधिकारी मानक को ताक पर रखकर फटाफट कार्यक्षेत्र बदल रहे हैं जिसके कारण बड़े-बड़े गांवों में सफाई व्यवस्था चौपट है। मुसाफिरखाना विकासखण्ड के अंतर्गत के राजस्व ग्रामों में सफाई कर्मियोंं की पूरी की पूरी फौज लगी है। शासन व आला अधिकारियों के कड़े निर्देश का जरा भी असर सफाई कर्मियों पर नहीं पड़ रहा है। वह पूरी तरह बेखौफ मस्ती में कागजी कोरम पूरा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं।
रोस्टर प्रणाली में जहां गिने-चुने सफाई कर्मी ही काम करते थे और बाकी मौज उड़ाते थे वहीं गांव की तैनाती में भी यह लोग जुगाड़ के सहारे मलाई काट रहे हैं। विभागीय अधिकारी लापरवाह कर्मियों का मनोबल बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। ज्यादातर सफाई कर्मचारी तो ब्लॉक में बैठकर अधिकारियो की जी हजूरी और साहब के घरेलू कार्यो में व्यस्त है वही दूसरी ओर पढ़े लिखे सफाई कर्मी ब्लॉक परिसर में कुर्सी पर बैठकर विभागीय कागजात को मेनटेन करने में जुटे है।
ऐसे में ग्राम पंचायतों तथा नगर पंचायत की सफाई कैसे हो पायेगी यदि मुसाफिरखाना विकासखण्ड के राजस्व ग्रामो में यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो ब्लाक क्षेत्रों के अधिकतर गांवों में यह व्यवस्था दिखाई पड़ेगी ,जहां जनसंख्या कम है वहां तीन-चार सफाई कर्मी तैनात है और जहां आबादी अधिक हैं वहां एक-दो अथवा एक भी कर्मी को कार्यरत नहीं किया गया।
विभागीय सूत्रों की मानें तो बहुत सारे सफाई कर्मचारी जिम्मेदारों से महीने का सुविधा शुल्क बांध लेते हैं और महीने भर मौज-मस्ती कर वेतन उठा लेते हैं महिला सफाई कर्मी तो और लापरवाह हैं वह महिला होने का लाभ उठाती हैं और अपने कार्य क्षेत्र में कभी भी दिखाई ही नहीं देती हैं हैरानी की बात यह है कि कहीं-कहीं ग्राम प्रधान व सिक्रेटरी दोनों शिकायत करते हैं बावजूद इसके शिकयत करने वाले सफाई कर्मियों का वेतन हर महीने निकल जा रहा है।
रिपोर्ट@राम मिश्रा