नई दिल्ली – विपक्ष ओर से खुद पर लग रहे सत्तावादी होने के आरोपों पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मौन तोड़ा है। मशहूर टाइम मैगजीन को दिए लंबे इंटरव्यू में मोदी ने साफ किया कि वह तानाशाही में भरोसा नहीं करते। मोदी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र हमारे डीएनए में है।
अगर मुझे लोकतांत्रिक मूल्य, समृद्धि, सत्ता और शोहरत में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं बिना किसी हिचकिचाहट के लोकतांत्रिक मूल्य को चुनूंगा। मोदी ने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछे कि भारत को चलाने के लिए तानाशाही की जरूरत है या नहीं तो मेरा जवाब ना होगा।’ टाइम ने मोदी से पूछा था कि क्या भारत को चलाने के लिए चीन जैसे शासन की जरूरत है।
हालांकि मोदी के इस जवाब को घरेलू राजनीति में उनपर लग रहे तानाशाही के आरोपों से जोड़कर भी देखा जा सकता है। विपक्ष लंबे समय से उनपर तानाशाही रुख अपनाने का आरोप लगाता रहा है। टाइम को दिए अपने लंबे साक्षात्कार में पीएम ने कई मसलों पर बेबाक राय रखी।
मोदी ने अमेरिका को भारत का स्वाभाविक सहयोग करार दिया। बकौल मोदी हमें यह नहीं देखना चाहिए कि अमेरिका भारत के लिए क्या कर सकता है या भारत अमेरिका के लिए क्या कर सकता है, बल्कि हमें यह देखना चाहिए कि दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर क्या कर सकते हैं।
पीएम ने चीन के साथ रिश्तों पर भी संतोष जताया। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों से सीमा पर दोनों देशों के बीच एक भी गोली नहीं दगी। बकौल मोदी, भारत अफगानिस्तान में एक स्थिर सरकार चाहता है।
मोदी ने अपनी सरकार में आर्थिक सुधारों पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में पिछली यूपीए सरकार के मुकाबले बेहतर आर्थिक माहौल है। चाहे आईएमएफ हो या विश्व बैंक, मुडीज हो या कोई अन्य क्रेडिट एजेंसी, सभी एक सुर में भारत के आर्थिक भविष्य को बेहतर बता रहे हैं।