नई दिल्लीः क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत को झटका दिया है। मूडीज ने भारत की रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है। इसके लिए एजेंसी ने सुस्त आर्थिक वृद्धि का हवाला दिया है और भारत की रेटिंग के लिए अपना नजरिया बदल दिया है।
एजेंसी ने भारत के लिए बीएए2 विदेशी-मुद्रा और स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि की है। मूडीज ने कहा है कि धीमी अर्थव्यवस्था को लेकर जोखिम और बढ़ रहा है। आगे रेटिंग एजेंसी ने कहा कि पिछले सालों की तुलना में भविष्य में आर्थिक विकास भौतिक रूप से कम रहेगा। इतना ही नहीं, मूडीज ने यह भी कहा कि आर्थिक मंदी को लेकर चिंताएं लंबे समय तक रहेंगी और कर्ज और भी बढ़ेगा। कारोबर में निवेश और ग्रोथ बढ़ाने के लिए और सुधारों और टैक्स बेस व्यापक करने की गुंजाइश काफी कम हो गई है।
इस पर भारत सरकार ने कहा कि, देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद काफी मजबूत है और हाल ही में किए गए सुधारों की घोषणा निवेश को प्रोत्साहित करेगी। इस संदर्भ में वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजा विश्व इकोनॉमिक आउटलुक में भारत की वुद्धि दर 6.2 फीसदी बताई गई थी और उससे आगले साल के लिए सात फीसदी रहने की बात कही थी। आईएमएफ और अन्य संगठनों के अनुसार, भारत की विकास दर अपरिवर्तित है।
अक्तूबर में मूडीज ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान भी घटा दिया था। एजेंसी के अनुसार, जीडीपी 5.8 फीसदी होगी, जो भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) के अनुमान से भी कम है। पहले एजेंसी ने 6.8 फीसदी का अनुमान जताया था।
विकास दर को घटाने के अनुमान से केंद्र सरकार की देश को 50 खरब इकोनॉमी बनाने की कवायद को भी झटका लग सकता है। अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर देखने को या फिर धीमी रफ्तार रहेगी तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा। फिलहाल देश में कई सेक्टरों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुराने स्टॉक को भी नहीं खरीद रहे हैं। 50 खरब अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विकास दर में तेजी रखने के लिए कोशिशों को जारी रखना होगा।