मध्यप्रदेश के सतना शहर के एक गांव में कैरोल गा रहे 30 से ज्यादा पादरियों और सेमिनरीज को पुलिस ने गुरुवार को हिरासत में ले लिया है। बजरंग दल ने आरोप लगाया कि वह धर्मांतरण करा रहे थे।
शुक्रवार को राज्य के एंटी कन्वर्जन लॉ के तहत एक पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि कुछ पादरियों और सेमिनरीज को छोड़ दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस परिसर में ही बजरंग दल के लोगों ने उनके साथ झगड़ा किया।
वहीं पुलिस और बजरंग दल दोनों ने इससे इनकार किया है। शुक्रवार को सिविल लाइन्स पुलिस थाने में हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में पूछने आए आठ पादरियों को भी हिरासत में ले लिया और उनकी कार जला दी गई।
पुलिस ने बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि कार किसने जलाई है। उन्होंने यह भी कहा कि आईपीसी के सेक्शन 435 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। शुक्रवार को सेंट एफ्रफ थियोलॉजिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले एम जॉर्ज और पांच अनजान लोगों पर धर्मेंद्र दोहर की शिकायत पर धर्म अधिनियम की स्वतंत्रता एवं धारा 153-बी और 295-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोहर का आरोप है कि उन्हें ईसाई बनने के लिए पैसा अॉफर किया गया था।
21 वर्षीय भुमकार गांव के निवासी ने आरोप लगाया कि मिशनरी इस गांव में पिछले दो वर्ष से सक्रिय हैं और धर्मांतरण के लिए तालाब में डुबकी लगाने के बाद उसे 5 हजार रुपये, एक क्रॉस और बाइबिल दी गई।
दूसरी ओर कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) ने जबरदस्ती धर्मांतरण कराने के आरोपों का खंडन किया है। सीबीसीआई की ओर से कहा गया कि थियोलॉजिकल कॉलेज के 30 सेमिनरीज और दो पादरियों को पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार कर लिया जब वह कैरोल सिंगिंग प्रोग्राम आयोजित करा रहे थे। संस्था के मुताबिक एेसा वे पिछले 30 वर्षों से कर रहे हैं।
सिविल लाइंस पुलिस थाने की सब-इंस्पेक्टर मोहिनी शर्मा ने कहा कि जॉर्ज (60) को बेल पर छोड़ दिया गया, जबकि धर्मेंद्र का धर्मांतरण कराने वाले अन्य 5 लोगों की पहचान होनी बाकी है।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस इन पादरियों और सेमिनरीज को स्टेशन इसलिए ले आई क्योंकि बजरंग दल कार्यकर्ताओं की मौजूदगी के कारण गांव में स्थिति गंभीर हो रही थी।