भोपाल : कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस को तीन राज्यों की सत्ता में ला दिया। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जमकर भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं ने चुनाव में वादा किया था कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो सिर्फ 10 दिनों में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा।
इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पहले काम के रूप में कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर दिए। इससे पहले भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। इसी दौरान मंच पर पहुंचे कमलनाथ सबसे एक-एक कर मिले। वहीं, जब वह 13 साल तक सूबे के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान के पास पहुंचे तो उनका अंदाज देखने लायक था। पहले कमलनाथ ने शिवराज से हाथ मिलाया और इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर ऊपर उठा दिया। इस दौरान शिवराज के बगल में मौजूद कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी शिवराज का हाथ अपने हाथ में लेते हुए उपर उठाया। राजनीतिक शिष्टाचार के तहत हुई यह मुलाकात सियासी गर्माहट के बीच लोकतंत्र की मजबूती को प्रकट करती है।
किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग, मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश के दस्तखत के साथ जारी एक पत्र में लिखा गया है कि 31 मार्च 2018 के पहले जिन किसानों का दो लाख तक का कर्ज बकाया है, उसे माफ किया जाता है। इसमें राष्ट्रीकृत और सहकारी बैंकों से लोन लेने वाले किसान लाभावन्वित होंगे।
कमलनाथ ने चमकाई कांग्रेस की किस्मत
बताते चलें कि इस बार मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था। कमलनाथ को अरुण यादव की जगह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया और उनकी अगुवाई में ही पार्टी चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस को बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटें अपने दम पर तो नहीं मिलीं लेकिन एसपी, बीएसपी और निर्दलीयों के सहयोग से वह राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हो गई है।
आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस के कर्जमाफी के वादे को देखते हुए मध्य प्रदेश के कई किसानों ने अपने लोन की किस्त जमा करनी बंद कर दी थी। किसानों ने पहले से ही यह मान लिया था कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो उनका कर्ज माफ हो जाएगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल राज्य में किसानों ने धान की फसल भी कम बेची है। ऐसा इसलिए है कि अगर किसान धान की फसल बेचते तो उनको मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके खाते में आता और बैंक लोन की किस्त काट लेते।
कांग्रेस नेताओं ने की थी कर्ज ना चुकाने की अपील
चुनाव में भी कांग्रेस नेताओं ने किसानों से कर्जमाफी का वादा करते हुए अपील की थी कि वे धान की फसल न बेचें और कांग्रेस के लिए वोट दें। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पिछले सालों में किसानों ने कई बार छोटे-बड़े आंदोलन भी किए। कांग्रेस ने किसानों की नाराजगी को हवा दी और उस माहौल का अपने पक्ष में बखूबी इस्तेमाल किया।