भोपाल : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फिर से उन दो न्यायिक अधिकारियों को बहाल कर दिया है, जिन्हें पिछले साल सितंबर में दो से ज्यादा बच्चे होने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। कोर्ट ने देखा कि अभ्यर्थी को परीक्षा में उपस्थित होने और चयन प्रक्रिया से गुजरने तक उम्मीदवारों की पात्रता संतुष्ट होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार से इस प्रकार की जानकारी आपको फॉर्म में ही पूछनी चाहिए थी। अब कोर्ट उन दोनों को फिर से बहाल कर दिया है।
मनोज कुमार और अशरफ अली को पिछले साल अप्रैल में एग्जाम प्रोसेस खत्म कर मई में नियुक्ति मिल गई थी। नियुक्ति के बाद उनसे अपने बच्चों की संख्या के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने अपने दो से ज्यादा बच्चे होने की बात कही। जिसके बाद इस मामले को फुलकोर्ट मीटिंग में रखा गया और दो से अधिक बच्चे होने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
कोर्ट के सामने दोनों बर्खास्त हुए उम्मीदवारों ने तर्क दिया कि फॉर्म में बच्चों की संख्या के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई खंड नहीं था। मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एचपी सिंह की बैंच ने कहा कि उच्च न्यायालय के लिए आवेदन पत्र में बच्चों की संख्या के बारे में जानकारी लेने के लिए अनिवार्य है, होनी चाहिए थी। कोर्ट ने इस बर्खास्तगी को अस्पष्ट और अनुचित ठहराते हुए, दोनों उम्मीदवारों को फिर से बहाल कर दिया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए वर्ष 2001 में कानून बनाया था। इसके तहत वर्ष 2001 के बाद वही व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकता था, जिसके अधिकतम दो बच्चे है। दो से अधिक बच्चों के पिता होने पर वह व्यक्ति सरकारी नौकरी नही कर सकता हैं।