जबलपुर– मध्य प्रदेश विधानसभा में हुई फर्जी नियुक्तियों के मामले में उच्च न्यायालय जबलपुर की न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और मूलचंद गर्ग की युगलपीठ ने आठ आरोपियों की थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग संबंधी याचिकाओं को खारिज करते हुए पासपोर्ट जमा करने के निर्देश जारी किए हैं।
अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुशेन्द्र कौरव ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि विधानसभा भर्ती प्रकरण में आरोपी बनाए गए यज्ञ नारायण शर्मा, रमेश कुमार तिवारी, अमित कुमार मिश्रा, शरद कुमार द्विवेदी, ब्रह्मचारी प्रसाद तिवारी सहित आठ व्यक्तियों के द्वारा दायर की गई याचिकाओं में जस्टिस शचिन्द्र द्विवेदी जांच कमेटी की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए एफआईआर खारिज किए जाने की मांग की थी। इसके अलावा उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग भी याचिका में की गई थी।
कौरव ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए युगलपीठ ने दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया गया। जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिकाओं को खारिज कर दिया। युगलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को इतनी राहत अवश्य दी है कि गिरफ्तारी के लिए उन्हें सात दिनों का नोटिस पुलिस के द्वारा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि विधानसभा के उप सचिव के द्वारा 28 फरवरी को जहांगीराबाद पुलिस थाने में वर्ष 1993 से 2003 के बीच विधानसभा में हुई अवैध नियुक्ति के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। प्रकरण में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष निवास तिवारी के साथ 19 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया था।
उनके खिलाफ धारा 420,468 तथा 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। वर्ष 1993 से 2003 के बीच हुई नियुक्तियों की जांच के लिए सरकार ने वर्ष 2004 05 में जस्टिस शचिन्द्र द्विवेदी जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट वर्ष 2006 में सरकार को सौंप दी थी। -आईएएनएस