बैतूल –समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनुराग मोदी सहित अन्य दो लोगों की जनहित याचिका पर आज छुट्टी के दिन विशेष अदालत आहूतकर एक ऐतिहासिक सुनवाई में जबलपुर हाईकोर्ट की दो जजों – राजेन्द्र मेनन और आलोक आरधे – की खंडपीठ ने म. प्र के पंचायत चुनाव में 16 जनवरी को होने वाले जिला पंचायत के प्रथम चरण की गिनती पर रोक लगा दी है |
जिला पंचायत और जनपद पंचायत के परिणाम एक ईवीएम मशीन में होने से इस मामले में जनपद पंचायत के चुनाव परिणाम पर भी रोक लग गई है| इस मामलें म. प्र राज्य चुनाव आयोग को अपना शपथ-पत्र पेश करना है, जिस पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी |
याचिकाकर्ता के वकील राघवेन्द्र कुमार ने यह दलील पेश की थी कि राज्य चुनाव आयोग ने वोटों कि गिनती के मामले में अपनी मनमर्जी का कार्यक्रम बनाया है : एक ही जिले की जिला पंचायत के लिए तीन चरणों में गिनती हो रही है,जिसके चलते पहले चरण के चुनाव परिणाम दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव परिणामों को और उसी तरह दूसरे चरण के परिणाम भी तीसरे चरण के परिणामों कप प्रभावित करेगी |
जबलपुर, ग्वालियर, देवास, इंदोर और अनुपपुर में दो चरणों में और भोपाल, हरदा, अलीराजपुर, नरसिहपुर, पन्ना, दतिया में एक चरण में चुनाव हो रहे है| प्रदेश के शेष 34 जिलों की जिला पंचायत में मतदान तीन चरणों में हो वोटों की गिनती 16 जनवरी 4 फरवरी और 22 फरवरी को होकर उनके चुनाव परिणाम क्रमश: 17 जनवरी 5 फरवरी और 23 फरवरी को घोषित होना था|
न्यायालय ने राज्य चुनवा आयोग कि इस दलील को नकार दिया कि पंचायत चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं होते है, और इसके चलते अलग-अलग तिथियों में चुनाव परिणाम घोषित होने होने से चुनाव परिणाम प्रभावित नहीं होंगे और हाईकोर्ट चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं कर सकता| अशोक कुमार विरुध्द भारतीय चुनाव आयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ व्यवस्था दी है कि चुनाव् प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए चुनाव के कार्यक्रम को प्रभावित किए बिना देश के सवैधानिक कोर्ट अपने आदेश के जरिए दखल कर सकते है|