भोपाल- प्रदेश में इस समय एडमिशन का दौर चल रहा है। विद्यार्थी बिना जानकारी एकत्रित किए कालेज और विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं। वे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेने स्नातक से अलग विषयों का चयन कर रहे हैं, जिसका कोई तारतम्य नहीं बन रहा है। ऐसे कई प्रकरण बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में सामने आ चुके हैं, जिन्हें बीयू ने फर्जी बताकर विद्यार्थियों को पीएचडी करने से रोक दिया है।
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ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है। अर्पणा सिंहा ने पीजीडीसीए के बाद माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में लेटरल एंट्री के माध्यम से एमएससी के तृतीय सेमेस्टर में प्रवेश लिया था। डिग्री पूरी होने के बाद छात्रा अर्पणा ने पीएचडी करने के लिए बीयू में आवेदन किया था। बीयू ने छात्रा की एमएससी की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया है। इस संबंध में स्थायी समिति के निर्णय के बाद बीयू ने प्रकरण को यूजीसी तक भेज दिया था। यूजीसी ने इस प्रकार की डिग्री को अमान्य किया है।
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यूजीसी के जवाब मिलने के बाद बीयू ने छात्रा अर्पणा और विवि को पत्र जारी कर सूचित कर दिया है। पीजीडीसीए और बीकाम के बाद विद्यार्थी माखनलाल विवि से एक साल में एमएससी कर बीयू कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी करने पहुंच रहे हैं। अधिकारियों ने उन्हें फर्जी डिग्री बताकर उनकी डिग्री को रद्दी का टुकड़ा बताना शुरू कर दिया है। इससे विद्यार्थी अपने आप को डगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
माखनलाल विवि के नियमावली में पीजीडीसीए के बाद लेटरल एंट्री के बाद विद्यार्थी को एमएससी के तृतीय सेमेस्टर में प्रवेश देने की व्यवस्था की गई है। जबकि उच्च शिक्षा विभाग की नियमावली 6.2 की नियम इस प्रकार के प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहा है। इसलिए डिग्री को यूजीस में अमान्य कर दिया गया है। यही कारण के बीयू भी एमएससी की डिग्री को मान्य नहीं कर रहा।
प्रदेश के निजी विवि कुकुरमुत्तों की भांति खुलने शुरू हो गए हैं। इससे डिग्री बांटने का धंधा भी जोर पकड़ रहा है। कुछ विवि ने दो साल के एलएलएम के पाठ्यक्रम को एक साल का कर डिग्री बांटना शुरू कर दिया है। बीयू ने एक साल के एलएलएम की डिग्री को फर्जी बताकर पीएचडी की पात्रता देने से इनकार कर दिया है।