मंडला- मध्य प्रदेश के मंडला जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कितनी किल्लत है ! इस बात का अंदाज जनसुनवाई में आई शिकायतों से लगाया जा सकता है। कलेक्टर की जनसुनवाई में अनेक गाँवों के लोग अपने गाँव के जल संकट की समस्या बताने मंडला पहुंचे। इन ग्रामीण में मंडला से लगे ग्राम के लोगों के साथ साथ दूर दराज के ग्रामीण भी शामिल रहे। सम्बंधित विभाग अल्प वर्षा और जिले की भौगोलिक स्थिति को जल संकट के लिये जिम्मेदार बता रहे है।
जिला योजना भवन में आयोजित जनसुनवाई में इस बार पानी की समस्या हावी रही। अनेक गाँवो के ग्रामीण अपने गाँवों में पानी की किल्लत बताने यहाँ पहुंचे। मोहनिया पटपरा के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गाँव में भीषण जल संकट है। एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। पानी का जरिया एक कुआ भी सूखने की कगार पर है। राष्ट्रीय मानव कहे जाने वाले बैगा बाहुल्य इस गाँव के लोगों ने पानी के लिए कई जगह शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हार कर इन ग्रामीणों ने कलेक्टर की जनसुनवाई का रुख करना पड़ा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि 1 – 2 दिन में पानी का इंतिज़ाम नहीं किया गया तो वो आंदोलन करने के लिए सड़क पर उतरेंगे।
ये ग्रामीण आये तो बेरपानी ग्राम से है लेकिन इनका गाँव खुद प्यासा है। सभी जल स्रोत सूख गए, महज एक कुए के तले पर कुछ पानी है जिसके लिए रात से ही चप्पलों की कतार लग जाती है। कुए में सीड़ी के जरिये बच्चों को नीचे उतारा जाता है, फिर बच्चे चुल्लू से बर्तन भरते है। कई लोग का नंबर आते तक यह पानी भी ख़त्म हो जाता है। कई पीढ़िया गुजर गई लेकिन गाँव की तस्वीर और तकदीर नहीं बदली। कुछ दिन टैंकर से पानी सप्लाई हुआ था लेकिन बिल भुगतान न होने से लंबे समय से सप्लाई भी बंद हो गई। कहते है एसडीएम के अनुबोदन के बिना पानी सप्लाई होने से भुगतान में शासकीय पेंच फस गया जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे है।
आलम यह है कि ग्रामीणों को नहाने के लिए भी दूसरे गाँव जाना पड़ता है। नतीजतन इतनी गर्मी में भी ये ग्रामीण सप्ताह में एक या दो दिन ही नहा पते है।
जैसे ही जन सुनवाई ख़त्म हुई और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री एस एल तिडगाम जिला योजना भवन से निकले तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और सवालों की बौछार लगा दी। ये बात अलग है कि ये अधिकारी ग्रामीणों के सवालों का माकूल जवाब नहीं दे सके। जब मीडिया ने उनसे चर्चा की साहब ने अल्प वर्षा और जिले की भौगोलिक स्थिति को जलसंकट के लिए जिम्मेदार बताने लगे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सितंबर माह से ही बारिश नहीं हुई जबकि हमेशा जिले में दिसंबर और जनवरी में भी अच्छी बारिश हो जाती थी जिससे वाटर लेवल सही हो जाता था।
इस बार अल्प वर्षा के चलते पानी काफी नीचे चला गया है। उनका कहना यह भी है कि जिले की भूसंरचना ऐसे है की यदि बीच में बारिश न हो तो जल संकट बन जाता है। जिले में जल संकट के स्थाई हल के लिए गाँवों के आस – पास तालाब और खेत तलब बनाना अतिआवश्यक है। हालांकि वो परिवहन के जरिये पानी पहुंचा की बात कर रहे है।
@सैयद जावेद अली