बैतूल- जिला चिकित्सालय में प्रबंधन की बदइंतजामी और बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते एक पिता को अपने मासूम बेटे को खोना पड़ा। जिला अस्पताल की लचर व्यवस्था पर एक बार फिर सवालिया निशान उठने लगे है। जिसका ताजा उदाहरण शनिवार की सुबह देखने को मिला।
जहां समय पर इलाज न मिलने के कारण एक मासूम बच्चे की मौत हो गई। जिले के ग्रामीण अंचलों से उपचार के अभाव में अपने मासूम बच्चे को गंभीर अवस्था में जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे एक आदिवासी दंपत्ति को अस्पताल में समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण उनके पुत्र की मौत हो गई।
मिली जानकारी के मुताबिक भीमपुर विकासखंड के ग्राम चकढाना ग्राम पंचायत के अंतर्गत ढाकना ग्राम के रहने वाले आदिवासी मनोहर वाडि़वा अपने 9 माह के बेटे ओम वाडि़वा को लेकर शनिवार सुबह 11.30 बजे जिला चिकित्सालय पहुंचे अस्पताल में मासूम को भर्ती कराने के लिए पर्ची तो काट ली, लेकिन इलाज के लिए लाईन में लगकर लंबा इंतजार करना पड़ा । जब तक मासूम का इलाज की बारी आने के पहले वह दम तोड़ चुका था।
मृतक बच्चे के पिता मनोहर वाडि़वा का कहना है कि वे बच्चे की हालत खराब होने के कारण उसे लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे। अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ लगी हुई थी। लंबी लाईन लगी होने के कारण उनके बेटे को समय उपचार नहीं मिल पाया और आखिरकार उपचार के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। श्री वाडि़वा का कहना है कि समय पर इलाज मिल पाता तो उसके बेटे की जान बच जाती। सवाल यह भी है कि जब मासूम इतना गंभीर बीमार था तो डॉक्टर ने सबसे पहले इस बच्चे को उपचार देना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
इनका कहना-
जब बच्चे के परिजन उसे जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे। बच्चे की मृत्यु हो गई थी। अधिक फीवर होने के कारण बच्चे की मौत हो गई:- डॉ जगदीश घोरे, जिला चिकित्सालय, बैतूल
रिपोर्ट- @अकील अहमद