दमोह- पावन पवित्र धरा पर जन्म लेने वाले प्रत्येक मनुष्य के मन में यह कामना होती है कि वह अपने धर्म एवं परम्पराओं के अनुरूप अपने आराध्य की प्रार्थना करने के लिये कभी न कभी तीर्थ करने के लिये उन पवित्र स्थानों पर जाये जहां उसकी आस्था जुडी हुई है।
इसके लिये प्रत्येक धर्म में अपना एक अलग महत्व बतलाया गया है जिसको लेकर सदैव मनुष्य इसका लाभ लेने के लिये प्रयास करता रहता है। परन्तु अनेक लोग एैसे भी हैं जो कि धन के आभाव में इस पवित्र कार्य से वंचित रह जाते थे।
एैसे ही लोगों को उनके धर्म क्षेत्रों की यात्रा कराने का बीडा उठाया मध्यप्रदेश शासन ने जिसका शुभारंभ स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 03 सितम्बर 2012 को रामेश्वरम यात्रा से प्रारंभ किया था। इसके बाद प्रदेश के 49 जिलों में यात्राओं के माध्यम से लोगों को धार्मिक स्थलों पर भेजना प्रारंभ हुआ। बतलादें कि इस समय प्रदेश में 49 जिले थे जबकि वर्तमान में 51 हैं।
आज तक लाखों की संख्या इस योजना से लाभांवित होने वालों की बतलायी जाती है। जिले की बात करें तो आज तक 9 हजार 400 लोग मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना से लाभांवित हो चुके हैं।
जिले से होकर गत 28 जुलाई को रात्रि में रवाना हुई जगन्नाथ पुरी के लिये विशेष यात्री गाडी से तीर्थ यात्रा के लिये जाने वालों को बिदा करने तथा शुभकामनाओं देने के लिये परिजनों के अलावा समाजसेवियों की भी उपस्थिति रही।
कब कितनों ने की यात्रा-
मुख्य मंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत जिले के लगभग नो हजार से अधिक को लाभ प्राप्त हो चुका है। कहने का मतलब तीर्थ स्थानों पर जाकर भगवत आराधना एवं दुआ करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। जिला कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले से प्रथम यात्रा 29 सितम्बर 2012 को वैष्णो देवी के दर्शन के लिये प्रथम जत्था निकला था जिसमें 152 लोगों को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
27 अक्टूबर 2012 को जगन्नाथपुरी के लिये 152,शिरडी के लिये 04 नबम्बर 2012 को 140 तथा 03 दिसम्बर 2016 को तिरूपति दर्शन का लाभ 152 लोगों को प्राप्त हुआ था। इसी क्रम में बर्ष 2013 में रामेश्वरम की तीन यात्राओं में 716,बर्ष 2014 में तीन यात्राओं में 794,वर्ष 2015 में छै:यात्राओं में 1491 एवं वर्ष 2016 में चार यात्राओं में 1016 नागरिकों को तीर्थ यात्रा का लाभ प्राप्त हुआ।
द्वारिकाधीश के दर्शन के लिये वर्ष 2013 में दो यात्राओं में 702,वर्ष 2014 मेें एक यात्रा में 230 तथा वर्ष 2015 में दो यात्राओं में 430 लोगों ने दर्शन किये। जगन्नाथपुरी के लिये वर्ष 2012 में एक यात्रा में 152,वर्ष 2013 दो यात्राओं में 285, वर्ष 2014 में दो यात्राओं में 221 एवं वर्ष 2016 में एक यात्रा में 369 लोगों को लाभ मिला।
तिरूपति बालाजी दर्शन के लिये वर्ष 2012 में एक यात्रा में 152,वर्ष 2013 में दो यात्रा में 472, वर्ष 2014 में एक यात्रा में 250 लोगों ने दर्शन किये। वैष्णोदेवी दर्शन के लिये वर्ष 2012 में एक यात्रा में 152,वर्ष 2013 दो यात्रा में 560,वर्ष 2015 में एक 156 एवं वर्ष 2016 एक यात्रा में 205 यात्रियों ने दर्शन लाभ लिये। बात करें शिरडी दर्शन की तो वर्ष 2012 में 140,सम्मेद शिखर के लिये वर्ष 2013 में 100 एवं अजमेर शरीफ की दो यात्राओं वर्ष 2013 एवं बर्षवर्ष 2016 में एक यात्रा में 218 लोगों को यात्रा का लाभ मिला।
रिपोर्ट:- @डा.एल.एन.वैष्णव एवं हंसा वैष्णव