लखनऊ- उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ टकराव में उलझे और इस लड़ाई को केंद्र तक ले जाने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को राज्य सरकार ने सोमवार रात निलंबित कर दिया। इससे पहले पुलिस महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी ठाकुर ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क कर अपने खिलाफ दायर बलात्कार के मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। ठाकुर ने मुलायम द्वारा धमकी दिये जाने की शिकायत पुलिस में दर्ज करायी है।
लखनऊ में जारी की गयी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्य सरकार ने ठाकुर को दायित्व निर्वहन में कोताही, अनुशासनहीनता, सरकार विरोधी रुख अपनाने और उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के प्रथम दृष्टया आरोपों को लेकर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। विज्ञप्ति के अनुसार निलंबन की अवधि में ठाकुर पुलिस महानिदेशक :डीजीपी: कार्यालय से संबद्ध रहेंगे और डीजीपी की मंजूरी के बिना राज्य मुख्यालय से बाहर नहीं जाएंगे। निलंबन के आदेश को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए ठाकुर ने कहा कि वह इसे अदालत में चुनौती देंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैं संबंधित अदालत में मामला उठाऊंगा। इससे पहले उन्होंने आज दिल्ली आकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अनंत कुमार सिंह से मुलाकात की। उन्होंने खुद और अपनी पत्नी एवं सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के लिए केन्द्रीय बलों की सुरक्षा मांगी। उन्होंने नार्थ ब्लाक के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘मुलायम सिंह यादव ने मुझे नतीजा भुगत लेने की धमकी दी है इसलिए मैं आज अतिरिक्त सचिव से मिला और खुद के लिए एवं अपनी पत्नी के लिए केन्द्रीय बलों की सुरक्षा मांगी।
ठाकुर ने कहा कि मुलायम ने लखनउ में दस जुलाई को उन्हें धमकी दी थी, जिसकी शिकायत उन्होंने दर्ज कराई। इसी के बाद उनके खिलाफ बलात्कार का ‘झूठा’ मामला लगाया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने खिलाफ लगे बलात्कार के आरोपों की सीबीआई जांच चाहता हूं।’ वहीं मुलायम के बेटे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने पिता द्वारा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ठाकुर को फटकार लगाने में कुछ गलत नजर नहीं आता।
अखिलेश ने फरूखाबाद में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री को फटकार लगा सकते हैं तो किसी अधिकारी को फटकार लगाने में कुछ गलत नहीं है। उत्तर प्रदेश के एक अन्य वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने झांसी में मांग की कि ठाकुर के खिलाफ लगे बलात्कार के आरोपों की भली भांति जांच होनी चाहिए।
आजम खां ने कहा, ‘उन्होंने अनैतिक कार्य किया है और उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।’ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ के गोमती नगर थाने में 11 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गयी। ठाकुर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 (बलात्कार), 504 (जानबूझ कर अपमानित करना) और 506 (आपराधिक भयादोहन) के तहत मामला दर्ज किया गया है। गाजियाबाद की एक महिला की शिकायत के आधार पर ये प्राथमिकी दर्ज की गयी। प्राथमिकी में ठाकुर की पत्नी को सह आरोपी बनाया गया है।
बलात्कार के आरोप को पूरी तरह झूठ बताते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत के मुताबिक कथित अपराध में उनकी पत्नी ने मदद की और ये घटना उनके घर पर घटी। उन्होंने कहा, ‘कोई पत्नी अपने पति की किसी महिला के बलात्कार में मदद नहीं करेगी। इसके अलावा, मेरा घर बहुत छोटा है और वहां मेरे बच्चे भी रहते हैं। सीबीआई आरोपों की जांच करे। एजेंसी