नई दिल्ली : पिछले एक महीने से सपा में चले आ रहे विवाद पर शुक्रवार को बड़ा फैसला हो सकता है। इस फैसले के लिए अपना पक्ष रखने मुलायम सिंह यादव अपने भाई शिवपाल के साथ चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंच चुके हैं। वहीं अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल भी किरणमय नंदा और नरेश अग्रवाल के साथ आयोग के दफ्तर पहुंचे हैं।
साइकिल दौड़ में अभी अखिलेश को बढ़त
अायोग दोनों पक्षों के दावों के आधार पर यह तय कर सकता है कि आने वाले यूपी चुनाव में सपा की साइकिल की सवारी मुलायम सिंह करेंगे या फिर अखिलेश। इस बीच खबर है कि मुलायम साइकिल और सपा पर अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।
सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल मेरा हस्ताक्षर
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग दोपहर 12 बजे इस मामले पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों के दावों का जांचेगा। अगर आयोग के सामने दोनों ही पक्ष नहीं माने तो इस बात की भी आशंका है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया जाए।
समाजवादी जन सन्देश साइकिल यात्रा के समापन में गिनाई उपलब्धियां
आयोग के सामने इससे पहले पेश हुए अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के गुट ने अपने-अपने दावे पेश किए थे। जहां अखिलेश ने पार्टी के 90 प्रतिशत विधायक, सांसद और एमएलसी के समर्थन की बात कही थी, वहीं मुलायम ने दावा किया था कि अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ही नहीं। रामगोपाल यादव को सपा से निकाल दिया गया था और ऐसे में वो राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने के अधिकारी ही नहीं थे इसलिए उनका अधिवेशन वैध नहीं है।
साइकिल की सवारी कर रहे हैं बिग बी
सपा में शुरू हुए विवाद के बाद से ही सुलह की कोशिशें हो रही थीं। बीच में कई बार ऐसी स्थिति बनी की मुलायम कोई बड़ा कदम उठाते लेकिन आजम खान दोनों के बीच लगातार सुलह की असफल कोशिशें करते नजर आए। जहां अखिलेश गुट अमर सिंह को खलनायक बताने में लगा रहा, वहीं मुलायम गुट रामगोपाल को झगड़े की जड़ बताता आ रहा है।
मुलायम ने लगाया रामगोपाल पर पार्टी तोड़ने आरोप
मुलायम सिंह बाद में थोड़े मुलायम भी नजर आए और उन्होंने अखिलेश को पार्टी का सीएम उम्मीदवार बताते हुए सुलह के लिए बेटे को मिलने भी बुलाया लेकिन इन मुलाकातों में भी दोनों पिता-पुत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए।
केवल एक शख्स की वजह से विवाद- मुलायम
अखिलेश का कहना था कि उन्हें सिर्फ चुनाव तक के लिए अघ्यक्ष बने रहने दिया जाए और उसके बाद पार्टी मुलायम सिंह की होगी लेकिन मुलायम का तर्क था कि उन्हें इतना सम्मान तो मिलना चाहिए कि वो अध्यक्ष बने रहें भले ही अखिलेश चुनाव में टिकट बंटवारे की कमान संभाल लें।