मुंबइ – देश की पहली ट्राम मुंबई में सन् 1873 में परेल से कोलाबा के बीच चली थी, लेकिन कुछ सालों पहले भागती-दौड़ती मुंबई के साथ ट्राम दौड़ नहीं सकी और उसे बंद करना पड़ा। अब एक बार फिर शहर में ट्राम दौड़ाने की योजना है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मुंबई में ट्राम को फिर से चलाने का सपना सामने रखा है। नरीमन प्वॉइंट से कांदीवली तक बनने वाले कोस्टल रोड के मल्टी कॉरिडोर में ट्राम को भी शामिल करने की योजना है।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमें सुझाव मिले हैं कि अगर कोस्टल रोड को सिर्फ निजी वाहनों के लिए बनाया जा एगा तो ये ट्रैफिक की समस्या का समाधान नहीं होगा, इसलिए हमारी कोशिश होगी कि इसके आसपास मेट्रे, ट्राम चलाने की। इलेक्ट्रिक ट्राम तेजी से दौड़ सकती है।
फिलहाल देश में ट्राम सिर्फ कोलकाता में चल रही है, लेकिन मुंबई में भी 60 के दशक तक ट्राम परेल से कोलाबा तक चलाई गई थी, लेकिन उस समय ट्राम को घोड़े खींचते थे। तकरीबन 30 साल बाद शहर में बिजली से चलने वाली ट्राम दौड़ी। डबल डेकर ट्रामों का भी प्रयोग हुआ। जानकारों का भी मानना है कि मुंबई जैसे भीड़-भाड़ वाले शहर में ट्राम पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अच्छा और सस्ता विकल्प हो सकता है। ट्रैफिक एक्सपर्ट अशोका दातार बताते हैं कि मुझे लगता है, ट्राम मुंबई जैसे भीड़-भाड़ वाले शहर के लिए बहुत अच्छा है। चूंकि पटरी के बीच कम जगह लगती है, इसलिए ये बीआरटीएस के मुकाबले भी बेहतर है। विएना, एम्सटर्डम, प्राग जैसे शहरों में ट्राम बखूबी चल रही है।