मुम्बई- महाराष्ट्र में सरकारी खर्च पर बच्चों के बजाए भूत हो रहे हैं शिक्षित। जी हां सुनने में यह बेशक अटपटा लगे लेकिन मामला कुछ ऐसा ही है। यहां शिक्षा के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया है। मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है जहां आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन के लिए एक अभियान चालाया गया। जिसमें राज्य के 50 आदिवासी स्कूलों को सम्मिलित किया गया।
इस अभियान में हजारों छात्रों के नामाकंन घोटाले का पता चला है। जिला प्रशासन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राज्य के आदिवासी स्कूलों में अधिकतर छात्रों का नाम सिर्फ कागजों में ही दर्ज है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जलगांव के सभी आदिवासी स्कूलों में अधिकतर नामांकन फर्जी पाए गए। राज्य में 25,922 छात्रों में से 8,177 छात्रों का कोई अता-पता नहीं है।
इन छात्रों में से कई छात्र मध्य प्रदेश और देश के अन्य राज्यों में पढ़ रहे हैं। यानि सरकार करोड़ों रुपए केवल ‘भूतों’ को पढ़ाने में खर्च कर रही है।
इस पूरे फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार की नींद खुली तो उन्होंने राज्य के सभी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के नामांकन की जांच कराने के आदेश दिए हैं। इसी बीच सामने आए एक सर्वे के अनुसार राज्य के 599 स्कूलों में 2.4 लाख आदिवासी छात्रों में से लगभग 30 से 40 प्रतिशत नामाकंन फर्जी पाए गए हैं।
जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार इन आदिवासी स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के नाम मध्य प्रदेश के स्कूलों में भी दर्ज है। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र सरकार हर साल 325 करोड़ रुपए आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर खर्च करती है जो सरकार के ट्राइबल सब-प्लान का हिस्सा है। इसके अलावा 100 करोड़ रुपए टीचिंग- नॉन टीचिंग स्टॉफ की सैलेरी के लिए खर्च किए जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले महिने राज्य के आदिवासी विकास सल्याण विभाग को इस फर्जीवाड़े की शिकायत मिली तो उन्होंने जिला अधिकारियों से रजिस्ट्रेशन कैंपेन चलाने को कहा था। जिसके बाद यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। [एजेंसी]