मुंबई- मुंबई की एक विशेष अदालत ने दिल्ली के रहने वाले अंकुर नारायणलाल पंवार को अपने पड़ोसी प्रीति राठी पर जानलेवा एसिड हमला करने के मामले में मौत की सजा का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पंवार ने मई 2013 में राठी पर एसिड से हमला किया था।
विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि एसिड हमले में वर्ष 2013 में कानून में सुधार के बाद देश में मौत की सजा का यह पहला मामला है। यह फैसला संभावित अपराधियों को डराकर रोकने में यह प्रमुख भूमिका निभाएगा।
विशेष महिला अदालत की विशेष न्यायाधीश ए.एस. शिंदे ने मंगलवार को पंवार को दोषी पाया था। सजा कितनी दी जाए इस बारे में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश ने पंवार को मौत की सजा सुनाई।
फैसले में कहा गया है, “अगर बंबई उच्च न्यायालय से सजा की पुष्टि हो जाए तो मामले में गंभीरता कम करने वाले और उत्तेजक परिस्थितियों के अनुसार, अभियुक्त को उसकी गर्दन से तब तक लटकाया जाएगा जब तक उसकी मौत नहीं हो जाए।”
बहस के दौरान निकम ने दोषी को मौत की सजा देने की मांग की थी और मामले को दुर्लभतम श्रेणी का करार दिया था। निकम के करियर का यह 38 वां मामला है जिसमें वह मौत की सजा का फैसला दिलाने में सफल रहे हैं।
बचाव पक्ष के वकील अपेक्षा बोरा ने पंवार की युवा उम्र और होटल प्रबंधन स्नातक होने और गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि और कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने का हवाला देते हुए उम्रकैद की सजा देने की मांग की थी।
विशेष महिला अदालत ने पंवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 324 बी के तहत और धारा 302 के तहत एसिड हमले के जरिए गंभीर रूप से घायल करने और हत्या का दोषी करार दिया।
निकम ने कहा कि राठी पर जानलेवा हमले का समाज पर बहुत बड़ा असर पड़ा है। वह भारतीय नौसेना में अपनी नौकरी करने जा रही थी लेकिन उसकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
किस आधार पर दी सजा
1. भारतीय नौसेना में बतौर लेफ्टिनेंट चयन होने के बाद प्रीति मुंबई जाने की तैयारी कर रही थी। एक तरफा प्यार में पड़े अंकुर पवार ने मार्च 2013 में उसके समक्ष प्यार का इजहार किया, मगर उसने इनकार कर दिया। उसने प्रीति को धमकाया भी कि वह मुंबई न जाए, वरना घातक परिणाम हो सकते हैं।
2. अप्रैल 2013 में उसने दिल्ली की एक दुकान से 2 लीटर एसिड (अति सांद्र सल्फ्यूरिक एसिड) खरीदा। दुकानदार के रजिस्टर में अंकुर का रिकॉर्ड दर्ज था और उसकी हैंडराइटिंग का मिलान भी हुआ। यह सबसे पहला और अहम सबूत था।
3. एक मई को प्रीति पिता अमरसिंह राठी और मौसा-मौसी के साथ मुंबई के लिए रवाना हुई। इसी ट्रेन में अंकुर भी था, जो उनका पीछा कर रहा था। निजामुद्दीन स्टेशन के फुटेज से यह साबित हुआ। दो मई 2013 को सुबह 8 से 8.15 बजे के बीच जब अंकुर ने बांद्रा स्टेशन पर एसिड फेंका तो स्टेशन पर काम कर रहे कुछ युवकों ने उसे देखा और उसका पीछा भी किया। इन युवकों की गवाही अहम रही।
दिल्ली में क्यों नहीं की हत्या?
इस पूरे केस में सबसे बड़ा सवाल था कि अंकुर को हत्या ही करनी थी, तो उसने दिल्ली में क्यों नहीं की। मुंबई में क्यों की? एडवोकेट निकम के मुताबिक, हमारे सामने यह सबसे बड़ा सवाल था जिसके जवाब पर बहुत कुछ निर्भर था। दरअसल अंकुर यह बताना चाहता था कि यदि कोई उसकी बात नहीं सुनता है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं इसलिए उसने मुंबई तक उसका पीछा कर फिर एसिड फेंका। कोर्ट के सामने यह दलील पेश की कि इस तरह की विकृत मानसिकता के लोग समाज के लिए घातक हो सकते हैं। उसने साजिशन प्रीति की हत्या की।
क्या था पूरा मामला
दिल्ली के नरेला की रहने वाली प्रीति राठी दो मई 2013 को ट्रेन से नौसेना के आईएनएचएस अश्विनी अस्पताल में नर्स की नौकरी ज्वाइन करने मुंबई आईं थीं। प्रीति बांद्रा स्टेशन पर उतरी थीं, उसी दौरान उस पर एसिड हमला हो गया था जिससे वह बुरी तरह से झुलस गईं थीं।
इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक महीने तक जीवन और मौत की जंग लड़ते हुए प्रीति ने बांबे हास्पिटल में दम तोड़ दिया था। इस मामले में पुलिस ने प्रीति राठी के ही पड़ोस में रहने वाले युवक अंकुर पवार को गिरफ्तार किया था।