राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सम्मान में संसद में विदाई समारोह संपन्न हो गया। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दोनों सदनों के सांसद मौजूद है। उपराष्ट्रपति और लोकसभा की स्पीकर में इस दौरान उपस्थित रहीं।
विदाई समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस लायक इसी संसद ने मुझे बनाया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इसी मंदिर ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। पुराने दिन को याद करते हुए प्रणब दा ने कहा कि 1969 में पहला राज्यसभा सत्र में हिस्सा लिया था।
उन्होंने भाषण के दौरान इंदिरा गांधी को भी याद किया और कहा कि मेरा करियर उनसे काफी प्रभावित रहा। उन्होंने कहा कि संसद में पक्ष और विपक्ष में बैठते हुए मैंने समझा कि सवाल पूछना और उनसे जुड़ना कितना जरूरी है।
संसद में हंगामा पर प्रणब दा ने कहा कि जब संसद में किसी व्यवधान की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती तो लगता है कि देश के लोगों के साथ गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश की एकता ही संविधान का आधार है।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि राष्ट्रपति से पहले आप विश्व के सर्वश्रेष्ठ विदेश मंत्री रहे और पद्म विभूषण का सम्मान भी प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दों पर आपकी नजर हमेशा रही और यही आपके सम्मान को बढ़ाता है। आपने विविधता में एकता को हमारी ताकत माना है और आप चिंतक भारत में विश्वास रखते हैं, न कि असहनशील भारत में।
लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सबसे पहले राष्ट्रपति के सम्मान में विदाई पत्र पढ़ा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के एक गांव से राष्ट्रपति पद तक का सफर उनका प्रेरक है। उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं से एक सा व्यवहार रहा है, राष्ट्रपति एक गुरु की भूमिका में रहे हैं।