पुणे- सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि सनातन संस्था के कार्यकर्ता वीरेंद्र तावड़े और सारंग अकोलकर तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 2009 में ही करना चाहते थे, लेकिन उसी साल मडगांव बम विस्फोट होने से उन्होंने योजना त्याग दी । संस्था के दो कार्यकर्ता मलगोंडा पाटिल और योगेश नाईक नवंबर 2009 में उस समय मारे गए थे जब दुर्घटनावश वह बम फट गया जिसे वे मडगांव, गोवा लेकर जा रहे थे । विस्फोट में आरोपियों में से एक अकोलकर तभी से फरार है।
सीबीआई सूत्रों ने कहा, ‘अब तक के दस्तावेजी सबूतों और जांच के अनुसार तावड़े और अकोलकर (दोनों) दाभोलकर को 2009 में मारना चाहते थे । हालांकि, उन्हें योजना तब त्यागनी पड़ी जब सनातन संस्था के दो कार्यकर्ता उस समय मारे गए जब उनके द्वारा मडगांव ले जाया जा रहा बम दुर्घटनावश फट गया ।’ केंद्रीय जांच एजेंसी दाभोलकर हत्या मामले की जांच कर रही है जो इसे बंबई उच्च न्यायालय ने मई 2014 में सौंपा था । एनआईए मडगांव विस्फोट मामले की जांच कर रही है ।
दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को यहां ओंकारेश्वर ब्रिज पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । एक अन्य खुलासे में सूत्रों ने कहा कि गोवा आधारित दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ता हत्या के समय पुल के पास ही मौजूद थे ।