नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने शनिवार (21 अप्रैल) को बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार नाबालिग बच्चों से बलात्कार करने वालों को फांसी की सजा देने के लिए अध्यादेश लाएगी। फिलहाल सरकार ने इस अध्यादेश को लाने के फैसले पर मुहर लगाई है। आगे वह इसके जरिए कानून बनाएगी, जिसमें 12 साल से कम उम्र के मासूमों से रेप करने वाले दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाएगी। केंद्र सरकार इसके लिए ‘द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट’ (पॉक्सो एक्ट) में संशोधन करेगी।
पीएम मोदी के नई दिल्ली स्थित आवास पर इस संबंध में शनिवार दोपहर करीब ढाई घंटे बैठक हुई थी, जिसमें केंद्रीय मंत्री और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। काफी विचार-विमर्श के बाद इस मसले पर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया है।
बता दें कि केंद्र सरकार को इस अध्यादेश लाने के फैसले पर मुहर इस वजह से लगानी पड़ी, क्योंकि हाल ही में गैंगरेप की दो हालिया घटनाएं सामने आई थीं। पहली- उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में। दूसरी- जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले से। देश की जनता में इन दोनों ही गैंगरेप की जघन्य घटनाओं को लेकर आक्रोश पनपा था। बाद में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया। फिर इंदौर में आठ की मासूम का रेप कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
टीवी चैनल्स के अनुसार, मोदी सरकार ने फिलहाल इस अध्यादेश को लाने पर मुहर लगा दी है। सरकार इसी के साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का बंदोबस्त भी करेगी। फॉरेंसिक जांच की मदद से सबूत जुटाए जाएंगे। यह अध्यादेश जिस दिन आएगा, उसी दिन से प्रभावी माना जाएगा। अध्यादेश से पहले के केसों पर यह लागू नहीं होगा।
ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार नाबालिगों के रेप-गैंगरेप के मामले को लेकर जो कानून आगे लाएगी, वह जम्मू-कश्मीर के कठुआ, गुजरात के सूरत और मध्य प्रदेश के इंदौर में हुई घटनाओं पर लागू नहीं हो सकेगा।
पॉक्सो एक्ट में फिलहाल रेप-गैंगरेप सरीखे जघन्य अपराधों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है। न्यूनतम सजा के रूप में फिलहाल दोषियों को सात साल की जेल की सजा सुनाई जाती है। दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद कानून में कुछ संशोधन किए गए थे।