गुजरात के चुनावों में आज पाकिस्तान सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। नरेंद्र मोदी पूछ रहे हैं कि कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के घर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी और पाकिस्तानी उच्चायुक्त की गुप्त बैठक डाॅ. मनमोहनसिंह और हामिद अंसारी के साथ क्यों हुई ? क्या पाकिस्तान गुजरात में मोदी को हराने की कोशिश कर रहा है ? पाकिस्तान के किसी अफसर ने ऐसा बयान क्यों दिया कि गुजरात का अगला मुख्यमंत्री अहमद पटेल को बनाया जाए ? भाजपा के नेता ऐसे निराधार मुद्दों को उठाकर अपना हिंदू वोट बैंक पक्का कर रहे हैं, इसमें विचित्र क्या है ? चुनाव एक तरह का युद्ध ही है। युद्ध में हर पैंतरा जायज होता है। लेकिन इसी बात का एक दूसरा पहलू भी है।
वह यह कि हम यह मानकर चल रहे हैं कि पाकिस्तान इतना प्रबल राष्ट्र है कि वह भारत के चुनाव की दिशा तय कर सकता है। ऐसा मानना भारतीय लोकतंत्र की मज़ाक उड़ाना है।
यदि पाकिस्तान द्वारा हमारे मुस्लिम वोटों को प्रभावित करने का तर्क कुछ हद तक ठीक मान लिया जाए तो भी सबको पता है कि पाकिस्तान यदि मोदी के पक्ष में खड़ा हो जाए तो भी गुजरात के मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देंगे।
लेकिन अब पाकिस्तान मोदी के लिए दुधारु गाय बन गया है। उसे वे जमकर दुह रहे हैं। जहां तक पाकिस्तानी राजदूत और नेता के साथ भेंट का सवाल है, मोदी से कोई पूछे कि क्या आठ-दस लोग लंच के बाद बैठकर जब दो-तीन घंटे आपस में गप लगाते हैं तो क्या वह गुप्त बैठक कही जा सकती है ? वह बैठक गुप्त थी और गुजरात में मोदी को हराने के लिए ही थी, यह उन्हें कैसे पता चला?
यदि इसका उन्हें पहले से सुराग लग गया था तो उन्होंने इन सब लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? यह इल्जाम उतना ही हास्यास्पद है, जितना यह कि अय्यर मोदी को मारने की सुपारी पाकिस्तान में किसी को दे आए हैं, क्या ? अय्यर अपनी बदजुबानी के लिए कुख्यात हो चुके हैं लेकिन मोदी तो अय्यर नहीं हैं। वे भारत के प्रधानमंत्री हैं। वे बदजुबानी का मुकाबला लंतरानी से क्यों करें? DEMO-PIC
डा. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से