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Sunday, December 22, 2024

इतिहास गढ़ती नर्मदा सेवा यात्रा

नर्मदा को प्रदूषण से बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा विगत पांच माह पहले शुरू की गई नर्मदा सेवा यात्रा ने प्रदेश ही नहीं पूरे देश में जनआंदोलन का रूप लेकर लोकप्रिय हो गई है। इस यात्रा में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा उत्तरप्रदेश के हाल ही में मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ ने भी शामिल होकर काफी प्रशंसा की। योगी आदित्यनाथ तो इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने नर्मदा सेवा यात्रा की तरह ही अपने प्रदेश में नदियों को बचाने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया। इस यात्रा में जाने माने योग गुरू बाबा रामदेव, आर्ट आफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर सहित कई बड़ी हस्तियों व साधू संतों ने शामिल होगर अपना योगदान देने का जो भाव दिखाया है निश्चित ही उससे इस अभियान की सफलता पर कोई संदेह नहीं है। पाच माह पूर्व शुरू हुई यात्रा में तकरीबन 200 लोग ऐसे हैं जो श्रद्धा, भक्ति और एक मिशन के साथ शुरू से साथ चल रहे हैं। यात्रा में विभिन्न क्षेत्रों के अब तक कुल 565 दिग्गज भी भाग ले चुके हैं।

शिवराज सरकार अपने स्तर पर निरंतर प्रयासरत है जिसमें नर्मदा को जीवित इंसान का दर्जा देने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित किया गया है। इसी के साथ नर्मदा नदी को सदानीरा रखने के लिये कानूनी प्रावधान की व्यवस्था की जा रही है। नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक में सभी प्रकार के उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया जायेगा। युकेलिप्टस के पेड़ों के स्थान पर बरगद, पीपल, साल, नीम जैसे पौधे लगाये जायेंगे। नमामि देवि नर्मदे यात्रा ने 9 मई को 142 दिन और 3,266 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। इस दौरान लोगों को नर्मदा संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिये 1014 जन-संवाद हो चुके हैं, जिनमें 24 लाख 6 हजार लोगों ने भाग लिया। इनमें से 47 स्थानों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी उपस्थिति रही है। जन-संवाद कार्यक्रमों में नर्मदा जल-धारा को अविरल बनाने के लिये पौध रोपण, तटों की साफ-सफाई, जल-धारा में विसर्जन न करने, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं आदि की समझाईश दी जा रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है नर्मदा सेवा यात्रा अब एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है। नर्मदा सेवा जीवन का मिशन है। यह राजनैतिक कर्मकांड नहीं है। उन्होंने कहा कि नदियों, पर्यावरण और जल को बचाना सरकार और हर नागरिक का कर्त्तव्य है। इस काम में सरकार और समाज दोनों को साथ-साथ चलना होगा।

नर्मदा सेवा यात्रा को जिस तरह से सफलता मिली है उससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी काफी उत्साहित है। उन्होंने यात्रा के दौरान लोगों से नर्मदा को प्रदूषण से बचाने के लिए कई अपेक्षाएं सामने रखी, जिससे लोगों ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। 15 मई को अमरकंटक में इस यात्रा का विराम होगा। इसको भी भव्यता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला नर्मदा के तट पर बसे छोटे से गांव जैत में जन्म लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक सफर तय करने वाले सेवाभावी राजनेता शिवराज सिंह चौहान ने गत 11 दिसंबर को जब अमरकंटक में नमामि देवी नर्मदा प्रार्थना के साथ नर्मदा सेवा यात्रा का श्ुाभारंभ किया था तब उन्होंने यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश सरकार के इस आयोजन को व्यापक जन अभियान का रूप देने के आकांक्षी हैं जिसमें समाज के हर तबके के लोग अपना योगदान प्रदान करें। लगभग पांच माह तक अनवरत चली इस जन जागरण यात्रा का उद्देश्य नर्मदा नदी के पावन जल को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जनता में जागरूकता पैदा करना रहा। इस यात्रा के पहले माह में ही प्रदेश की जनता ने इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जो अटूट उत्साह प्रदर्शित किया है वह इस बात का प्रमाण है कि मुख्यमंत्री अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल हुए हैं।

इस अभियान की सफलता के लिए समाज के हर तबके से मिल रहे सहयोग से मुख्यमंत्री भाव विभोर हो उठे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री के मन में यह कसक भी है कि प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली पावन नर्मदा नदी के जल में गंदगी बहाकर उसे विगत वर्षों में इतना प्रदूषित कर दिया गया है कि आज उसे प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जन जागरण अभियान प्रारंभ करने की अपरिहार्यता महसूस होने लगी थी। संकल्प सेवा समर्पण की त्रिवेणी मुख्यमंत्री चौहान अब यह प्रण कर चुके हैं कि जब तक नर्मदा जल को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं बना दिया जाता तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे। नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान उन्होंने अनेकों बार अपने उद्बोधन में यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं किया कि पुण्य सलिला नर्मदा के जल को प्रदूषण से बचाने के लिए यह अभियान वास्तव में बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिए था परंतु अब अपनी इस जिम्मेदारी के निर्वहन में कहीं कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। जनजन तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं भी मीलों पैदल चले और लोगों को यह संदेश दिया कि नर्मदा के पावन जल में गंदगी बहाकर उसे प्रदूषित करने का अपराध अब हम न करें। नर्मदा मैईया के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले मुख्यमंत्री चौहान को बड़ी संख्या में साधु संतों से भी इस पुनीत अभियान की सफलता के लिए आशीर्वाद मिला। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अमरकंटक मेें नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और इस पुनीत आयोजन से प्रभावित होकर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वे अपने राज्य में भी इसी तरह का एक जन जागरण अभियान प्रारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान के इस पुनीत अभियान की चर्चा अब दूसरे प्रदेशों में भी हो रही है और जिन राज्यों में नदियों के प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है वहां की सरकारों के लिए भी नर्मदा सेवा यात्रा प्रेरणा का विषय बन सकती है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर राज्य में प्रारंभ हुई अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को कई अन्य सरकारों ने भी अपनाया है।

मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर प्रारंभ हुई नर्मदा सेवा यात्रा को समाज के सभी वर्गों का सक्रिय सहयोग मिला है। । नर्मदा सेवा यात्रा के शुभारंभ पर विशेष रूप से उपस्थित महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंदजी ने कहा था कि राज्य सरकार के इस पुनीत अभियान में साधु संत भी सहभागी बनेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि नर्मदा नदी वृक्ष के जड़ों से निकले पानी से प्रवाहित होती है इसलिए पौधारोपण एवं उनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि 2700 किलोमीटर लम्बे नर्मदा तट पर अधिक से अधिक फलदार पौधे रोपित करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार उन्हें आर्थिक सहयोग भी प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री का मानना है कि मध्यप्रदेश में नर्मदा तट पर वैज्ञानिक विधि से पौधारोपण का यह अभियान दूसरे राज्यों के लिए आदर्श बन जाएगा। गौरतलब है कि नर्मदा नदी के दोनों तटों पर एक एक किलोमीटर क्षेत्र में फलदार पौधों के रोपण के लिए सरकार ने 668 करोड़ की राशि आवंटित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री के मन में इस बात को लेकर गहरी पीड़ा है कि मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मानी जाने वाली पुण्य सलिला नर्मदा के जल को विगत वर्षों में इतना प्रदूषित कर दिया गया है कि अब इसे प्रदूषण मुक्त बनाने का काम समाज के सभी वर्गों के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता इसलिए उन्होंने नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु लोगों में जागरूकता फैलाने के नर्मदा सेवा यात्रा की पहल की और उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि उनकी अपेक्षा के अनुसार समाज के हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में इससे जुड़े गए।

चूंकि नर्मदा जल को पूर्णत: प्रदूषण मुक्त बनाना ही इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है इसलिए सरकार इस काम में धन की कमी को आड़े नहीं आने देगी। सरकार ने 1403 करोड़ की लागत से 18 शहरों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है। सरकार ने नर्मदा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों के अधिकारियों एवं संबंधित निकायों को निर्देश दिए हैं कि इस कार्य में दु्रतगति लाने के लिए वे जल्दी से जल्दी प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को भेजे। ताकि नर्मदा जल को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना को शीघ्राति शीघ्र मूर्तरूप दिया जा सके।

1996 में जब माँ नर्मदा में लगातार प्रदुषण बढऩे लगा तो हम लोगो ने मिलकर माँ नर्मदा को प्रदूषण से मुक्त कराने माँ नर्मदा तट शुद्धिकरण मंच की स्थापना की इस मंच की कमान छात्र नेता भोजराज भोजू के हाथों में थी सर्वप्रथम हम लोगो ने मिलकर नर्मदा के तटो को अतिक्रमण से मुक्त कराया और घाटों में नर्मदा आरती की शुरुवात की। नर्मदा जयंती पर विशेष आयोजनों के साथ ही परिचर्चा भी आयोजित की हमारे इस आंदोलन को जबरदस्त जन समर्थन मिला,हम सभी युवाओ के पास सिमित संसाधन थे, हमने अमरकंटक से लेकर जबलपुर तक नर्मदा तट का सर्वे किया और कुल 119 नाले चिन्हित किय़ा था जो माँ नर्मदा को प्रदूषित कर रहे थे। हम लोगो को एक मात्र चिंता थी की यदि समय रहते प्रदुषण रोकने का प्रयास नही किया गया तो माँ नर्मदा जो देश की जीवनदायनी है उसका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। क्या नदी से नाले का स्वरुप लेगी माँ नर्मदा इस विषय में 1997 में माया पत्रिका में मेरा एक लेख प्रकाशित हुआ था जिस को लेकर काफी चर्चा हुई थी। एक बात का उल्लेख करना यहाँ आवश्यक है कि हमने नालो से माँ नर्मदा को प्रदुषण मुक्त करने अपने स्तर पर मण्डला के वैद्य घाट में एक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया था,हृ ष्ठ्र शासन काल में स्थानीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने माँ नर्मदा के सौन्दरीकर्ण की दिशा में कार्य किया इन दो शहरो के नर्मदा तट पर बने घाट कुलस्ते की देन है।

जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब नर्मदा सेवा यात्रा की शुरुवात की तो मुझे विश्लेषक के तौर पर यह यात्रा केवल और केवल राजनीतिक प्रेरित दिखाई दी आरंभिक दौर में इस यात्रा का क्रियान्वयन प्रशासनिक तौर पर था, मैंने यह बात मुख्यमंत्री जी से भी कही थी की इस यात्रा में शामिल होने वाले लोग स्वप्रेरित नही आ रहे है, वन समिति ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,जनअभियान से उपकृत संस्थाएं और मनरेगा से दो दिन का वेतन प्राप्त लोग ही यात्रा में आरहे है,केवल यह यात्रा माध्यम द्वारा तैयार इवेंट के रूप में है,मुख्यमंत्री ने स्वयं इस यात्रा को लेकर समीक्षा की और पूरी ताकत लगाकर इस यात्रा को देश के बड़े जनआंदोलन का रूप दे दिया। आज मुझे और मेरे सारे दोस्त जिन्होंने मिलकर नर्मदा तट शुद्धिकरण मंच की स्थापना माँ को प्रदूषण मुक्त कराने के स्वप्न के साथ ली थी वो माँ नर्मदा के पुत्र शिवराज सिंह चौहान के भागीरथ प्रयासों से मूर्त रूप ले चुकी है,मुझे पूरा विश्वास है कि जिस नेकनीयत से शिवराज ने इस आंदोलन की शुरुवात की वह विश्व के बड़े नदी शुद्धिकरण अभियान में शुमार होगी और माँ नर्मदा उन्हें चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री होने का गौरव प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री चौहान का मानना है कि पुण्य सलिला नर्मदा का ही आशीर्वाद है कि मप्र को देश में कृषि के क्षेत्र में नंबर एक होने का गौरव हासिल हुआ है जिसके कारण लगातार पांच बार इस प्रदेश को केन्द्र में कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा है। विभिन्न क्षेत्रों में इसके तट का सौंदर्य बरबस ही लोगों को आकर्षित कर लेता है। इसलिए सरकार ने नर्मदा के दोनों तटों के समानांतर 8-8 मीटर चौड़े पाथवे का निर्माण करने का निर्णय लिया है। चूंकि प्रस्तावित पाथवे ग्रीन बेल्ट के बीच से गुजरेगा इसलिए मां नर्मदा की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने नर्मदा नदी के तट पर बने पर्यटन स्थलों एवं धार्मिक स्थलों में सुविधाओं के विकास तथा नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक को देश का सबसे सुन्दर तीर्थ बनाने का लक्ष्य रखा है और इस अभियान की सफलता के लिए उनके समर्पण भाव को देखकर कोई भी विश्वास पूर्वक कह सकता है।

लगभग 5 माह चली नर्मदा सेवा यात्रा लोगों ने इसमें सक्रिय सहयोग देने के लिए जो उत्साह प्रदर्शित किया है वह केवल ढोल ढमाके और जुलूसों तक ही सीमित नहीं है। नर्मदा तट पर स्थित गावों कस्बों के निवासी भी यह संकल्प ले चुके हैं कि वे न तो तट पर गंदगी फैलाएंगे और न ही नर्मदा जल में कूड़ा कचरा व अन्य प्रकार की गंदगी फैंक कर उसे प्रदूषित करेंगे।

लेखक: कृष्णमोहन झा
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं)

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