नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नरोत्तम मिश्रा को बड़ी राहत देते हुए चुनाव आयोग द्वारा उनके खिलाफ दिए गए फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले का दो सप्ताह में निपटारा करने के निर्देश दिए हैं।
शुक्रवार सुबह हुई सुनवाई में नरोत्तम मिश्रा की ओर से वकील ने कहा था कि चुनाव आयोग ने एक कमेटी बनाकर अचानक यह फैसला दिया है। इसके बाद से नरोत्तम मिश्रा अपना मंत्री पद नहीं संभाल पा रहे हैं।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पेड न्यूज के एक मामले में नरोत्तम मिश्रा द्वारा जीते गए चुनाव को शून्य घोषित कर दिया था। इसके साथ ही मिश्रा के तीन साल तक चुनाव लड़ने पर बैन लगाया गया था।
– पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर चुनाव खर्च का पूरा ब्योरा न देने का आरोप लगाया था।
– भारती ने इसकी शिकायत ईसी से की थी। ईसी ने जांच में भारती के आरोपों को सही पाया और इसी साल 23 जून को मिश्रा पर तीन साल चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।
– यह मामला 2008 के विधानसभा चुनाव का है। तब नरोत्तम मिश्रा डबरा से बीजेपी कैंडिडेट और भारती बीएसपी कैंडिडेट थे।
– ईसी की कार्रवाई की वजह से मिश्रा राष्ट्रपति चुनाव में भी वोट नहीं डाल पाए। मध्य प्रदेश सरकार ने भी उन्हें सरकारी कामकाज से दूर रखा।
दिल्ली हाईकोर्ट कैसे पहुंचा मामला?
– पिछले करीब एक महीने में मिश्रा का केस हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, फिर एक दूसरी हाईकोर्ट इसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट और अब फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है।
– ईसी के डिसीजन को मिश्रा ने सबसे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन वहां वकीलों की हड़ताल की वजह से सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद यह केस जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा, जिसने इसे सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट को करने का ऑर्डर दिया।
– सुप्रीम कोर्ट के आॅर्डर के बाद मिश्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में पिटीशन लगाई, जो खारिज हो गई। बाद में डबल बेंच ने भी पिटीशन खारिज कर दी तो वे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट ने ईसी के फैसले पर स्टे देकर दिल्ली हाईकोर्ट से मामला दो हफ्ते में निपटाने का निर्देश दिया है।
नरोत्तम ने कोर्ट में रखी थीं ये दलीलें
– राष्ट्रपति चुनाव से पहले नरोत्तम मिश्रा ने कोर्ट में दलील दी थी, “जिस अखबार की खबर के बेस पर शिकायत की गई है, उसने न्यूज पेड होने से इनकार किया है। एक भी ओरिजनल डॉक्यूमेंट पेश नहीं किया गया। ऐसे तो कोई भी किसी के खिलाफ झूठी फोटोकॉपी पेश कर केस कर देगा। 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग होनी है। मैं वोटर हूं। चुनाव आयोग के इस फैसले से वोट नहीं दे पाऊंगा। इसलिए राहत (स्टे) दें।”
चुनाव आयोग ने ये जबाव पेश किया
– चुनाव आयोग की ओर से कहा गया था कि आयोग ने नरोत्तम मिश्रा और राजेंद्र भारती को सुनवाई का पूरा मौका दिया था। दोनों पार्टियों की बात सुनने और फैक्ट्स के बेस पर ही मिश्रा को अयोग्य घोषित किया गया है।