नई दिल्ली: देश में चल रही देशभक्ति के प्रमाणों पर बहस और मुस्लिमों की स्थिति पर अपनी बात रखते हुए दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा है कि देश के मुस्लिमों को अब सताया हुआ महसूस करना बंद करना चाहिए और किसी को भी मुस्लिमों की भारतीयता पर संदेह करने का अधिकार नहीं देना चाहिए। नसीरुद्दीन शाह ने अपने इस इंटरव्यू में कहा है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ मुस्लिम पाकिस्तान की तरफ झुकाव रखते हैं लेकिन उससे कहीं गुना ज्यादा संख्या ऐसे मुस्लिमों की है जिन्हें भारतीय होने पर गर्व है और देशभक्ति पर संदेह किए जाने पर जिन्हें काफी बुरा लगता है। नसीरुद्दीन शाह ने यह बातें हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित अपने एक लेख में कही हैं। नसीरुद्दीन शाह ने अपने इस लेख में अपने ‘अधार्मिक’ होने और अपने बच्चों को अपना धर्म खुद चुनने की आजादी देने जैसे कई मुद्दों पर बात की है।
नसीरुद्दीन शाह ने अपने इस लेख में लिखा, ‘ मुझे लगता है कि भारतीय मुस्लिमों को अब ‘पीड़ित’ की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए, जिसमें वह अभी हैं, यह बड़ी आसानी से सब को एक जाल में धकेल रहा है, हमें प्रताड़ित महसूस करना बंद करना चाहिए, हमें यह उम्मीद बंद करनी चाहिए कि कहीं से कोई अवतार होगा और अब इस मसले को सीधे अपने हाथ में लेना चाहिए। कम से कम कोई हमारी भारतीयता पर सवाल न उठा सके और इस देश पर हमारा कम हक है, यह न जता सके। ‘
नसीरुद्दीन शाह ने अपने इस लेख में कहा है कि देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब शांति की अपील करने वाले या चिंता से भरे बयानों को देशद्रोह का नाम दिया जा रहा है। शाह ने लिखा, ‘यह ऐसा लग रहा है कि जैसे हर कोई बस इसी दिन का इंतजार कर रहा था।’ हिंदुस्तान टाइम्स की सीरीज ‘बीईंग मुस्लिम नाउ’ के तहत लिखे शाह के इस लेख में लिखा है कि वर्तमान में मुसलमानों को बाहरी लोगों के रूप में लेबल करने की चालू राजनीति का इस्तेमाल जैसे ही खत्म होगा, इस नीति को छोड़ दिया जाएगा, लेकिन इससे अंदर क्या हालात बनेंगे यह एक मसला है।
नसीरुद्दीन शाह ने भारतीय मुसलमानों की स्थिति पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए लिखा, ‘मुस्लिम आक्रांताओं ने सैकड़ों साल पहले देश को किस हद तक नुकसान पहुंचाया, इस बात को देश में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए भगवा ब्रिगेड को अपना दिमाग दौड़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उन्होंने सिर्फ उन पुराने किस्सों को पूरी शिद्दत से लोगों तक पहुंचाया और भारतीय मुस्लिमों को सालों पुराने काम की सजा देते हुए दोयम दर्जे का नागरिक घोषित कर दिया गया. हम, जो उन अक्रांताओं के वंशज हैं, भले ही हमारा भी खून इस देश के लिए उतना ही अपना है, पीढ़ियों बाद हमें उन कामों की सजा के लिए दोषी ठहरा दिया गया है।’
नसीरुद्दीन शाह को साल 2015 में उनके पाकिस्तान पर दिए बयान के चलते काफी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था। नसीरुद्दीन ने तब कहा था कि उन्हें उनके मजहब के चलते टारगेट किया जा रहा है। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए नसीरुद्दीन ने कहा था, ‘ मेरा नाम नसीरुद्दीन शाह है और मुझे लगता है कि मुझे इसी लिए टारगेट किया जा रहा है। मुझे यह कहते हुए काफी बुरा लग रहा है। ‘ उस समय चले ‘अवॉर्ड वापसी’ अभियान पर शाह ने कहा था कि काश, अपने अवॉर्ड वापिस देने के बजाए, देश में वर्तमान स्थितियों पर और ज्यादा प्रहार के साथ लिखने का आंदोलन चलाया जाता। ‘